Shiv Sena MLAs Row: सीएम शिंदे और राहुल नार्वेकर की मुलाकात ने बढ़ाया सियासी पारा, क्या बोले उद्धव ठाकरे?
Shiv Sena MLA Disqualification: शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर आज बड़ा फैसला आने वाला है. फैसले से पहले राहुल नार्वेकर और सीएम की मुलाकात ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. इसपर उद्धव गुट ने आपत्ति जताई है.
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Shiv Sena MLA Disqualification Verdict: उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (यूबीटी) ने शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों की तरफ से एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिये निर्धारित 10 जनवरी की समय-सीमा से महज तीन दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच हुयी मुलाकात को ‘‘बेहद अनुचित’’ करार देते हुये उच्चतम न्यायालय में आवेदन दायर कर इसकी निंदा की है. मीडिया में आयी खबरों के अनुसार नार्वेकर ने सात जनवरी को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में शिंदे से मुलाकात की. उच्चतम न्यायालय ने 15 दिसंबर 2023 को नार्वेकर के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी कर दी थी.
अपने आवास मातोश्री में मीडिया से बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने पूछा, "अगर जज (नार्वेकर) आरोपी से मिलने जा रहे हैं, तो हमें उस जज से क्या उम्मीद करनी चाहिए?" मुंबई में “यह वह मामला है जो साबित करेगा कि देश में लोकतंत्र बचेगा या नहीं.” यह देश में लोकतंत्र के लिए निर्णायक कारक बनने जा रहा है.”
उद्धव गुट ने जताई आपत्ति
शिवसेना (यूबीटी) नेता सुनील प्रभु ने लंबित याचिका के संबंध में दायर एक आवेदन में कहा, ‘‘यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि (विधानसभा) अध्यक्ष का शिंदे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय करने से सिर्फ तीन दिन पहले उनसे मुलाकात करना बेहद अनुचित है.’’ अधिवक्ता निशांत पाटिल के माध्यम से आठ जनवरी को दायर आवेदन में कहा गया है कि संविधान की 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता से संबंधित) के तहत निर्णायक प्राधिकारी के रूप में विधानसभा अध्यक्ष को ‘निष्पक्ष एवं बिना किसी भेद भाव के कार्य करना आवश्यक है.’’
आवदेन में क्या कुछ कहा गया है?
प्रभु ने अपने आवदेन में कहा है, ‘‘(विधानसभा) अध्यक्ष का आचरण विश्वास जगाने वाला होना चाहिये और उनके उच्च पद के संबंध व्यक्त संवैधानिक विश्वास को उचित ठहराना चाहिए. हालांकि, अध्यक्ष का वर्तमान कार्य निर्णय लेने की प्रक्रिया निष्पक्षता पर सवाल उठाता है.’’ आवेदन में कहा गया है कि अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर अपने फैसले की घोषणा करने से कुछ दिन पहले शिंदे से मुलाकात का विधानसभा अध्यक्ष का कृत्य इस कानूनी सिद्धांत का उल्लंघन है कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए.’
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