CM एकनाथ शिंदे गुट को राहत मिलने के बाद उद्धव ठाकरे बोले- 'हम अब...'
Shiv Sena MLAs Disqualification Verdict: एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग पर उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा. स्पीकर ने मांग खारिज कर दी. अब उद्धव ठाकरे का बयान सामने आया है.
Shiv Sena MLAs Row: एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों पर स्पीकर के फैसले के बाद पूर्व सीएम और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम जनता को साथ लेकर लड़ेंगे और जनता के बीच जाएंगे. उन्होंने कहा कि स्पीकर का आज जो आदेश आया है, वह लोकतंत्र की हत्या है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी अपमान है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि राज्यपाल ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और गलत किया है. हम इस लड़ाई को आगे भी लड़ेंगे और हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है. सुप्रीम कोर्ट जनता और शिवसेना को पूरा न्याय दिए बिना नहीं रुकेगा.''
सहयोगी दलों ने क्या कहा?
इससे पहले शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने भी कहा कि वो अब कोर्ट का रुख करेंगे. पार्टी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने स्पीकर पर मौका परस्त होने का आरोप लगाया. वहीं एसनपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि अब उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट जाना होगा. वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि आज का निर्णय संवैधानिक आधार पर नहीं लिया गया है इस निर्णय से महा विकास अगाड़ी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. आज के निर्णय से हमारा महा विकास अघाड़ी मजबूत होगा. हम सभी साथ है. बता दें कि उद्धव ठाकरे, शरद पवार का गुट और कांग्रेस महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी में शामिल हैं.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को कहा कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी समूहों का उदय हुआ तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) था. शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी धड़ों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे. उन्होंने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले अधिकृत सचेतक बन गए थे. जैसे ही फैसले का आशय स्पष्ट हुआ, मुख्यमंत्री शिंदे के गुट के समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया.
झटके बीच उद्धव गुट को बड़ी राहत, पार्टी के 14 विधायकों को लेकर भी स्पीकर ने सुनाया फैसला
विधानसभाध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिवसेना प्रमुख के पास किसी भी नेता को पार्टी से निकालने की शक्ति नहीं है. उन्होंने इस तर्क को भी स्वीकार नहीं किया कि पार्टी प्रमुख की इच्छा और पार्टी की इच्छा पर्यायवाची हैं. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सौंपा गया 1999 का पार्टी संविधान मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए वैध संविधान था और ठाकरे समूह का यह तर्क कि 2018 के संशोधित संविधान पर भरोसा किया जाना चाहिए, स्वीकार्य नहीं था. उन्होंने कहा कि 1999 के संविधान ने ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ को सर्वोच्च निकाय बनाया था.