Maharashtra Political Crisis: चुनाव आयोग द्वारा महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाश शिंदे (Eknath Shinde) गुट को  असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के साथ ही अब यह देखा जाना बाकी है क्या उनका गुट पार्टी के मुख्यालय 'शिवसेना भवन' (Shiv Sena Bhavan) और पार्टी के मुखपत्र 'सामना' (Saamana) पर भी दावा करता है या नहीं.  फिलहाल ये दोनों उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray) गुट के नियंत्रण में हैं.


उद्धव ठाकरे गुट को सता रहा डर, उठाया ये कदम


शिवसेना भवन सेंट्रल मुंबई के दादर में स्थित है जबकि सामना का मुख्य ऑफिस प्रभादेवी क्षेत्र के नजदीक स्थित है. दोनों ही संस्थान फिलहाल अलग-अलग ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे हैं. हालांकि सीएम शिंदे ने कहा था कि उन्हें पार्टी का नाम और चिह्न भले ही मिल गया है लेकिव वो शिवसेना भवन पर दावा नहीं करेंगे. हालांकि उद्धव ठाकरे गुट इसको लेकर सावधान है. उद्धव ठाकरे गुट के नेता और ठाणे सांसद राजन विचारे ने ठाणे पुलिस आयुक्त जय जीत सिंह को एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने शिंदे गुट द्वारा शहर में शिवसेना के स्थानीय कार्यालयों को हड़पने के किसी भी प्रयास को विफल करने का आग्रह किया.


पार्टी से छिन गया ठाकरे परिवार का अधिकार


मालूम हो कि पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसैनिक घोषित करते हुए उन्हें पार्टी का नाम और चिह्न इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी. इसी के साथ ठाकरे परिवार ने बालासाहेब ठाकरे द्वारा 1966 में स्थापित की गई पार्टी से अपना अधिकार खो दिया था.


'शिवसेना भवन और सामना के बारे में'


शिवसेना भवन शिवाई सेवा ट्रस्ट द्वारा नियंत्रित किया जाता है. इसके संस्थापक सदस्यों में दिवंगत बाला साहेब ठाकरे, उनकी पत्नी मीना ठाकरे शामिल हैं. ट्रस्ट के कई सदस्य अब जीवत नहीं हैं. इसके वर्तमान न्यासियों में वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई, दिवाकर रावते, लीलाधर डाके, मुंबई की पूर्व मेयर विशाखा राउत और स्वयं उद्धव ठाकरे शामिल हैं, जबकि बाला साहेब ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना के मुखपत्र सामना का प्रबंधन प्रबोधन प्रकाशन द्वारा किया जाता है, जिसके प्रकाशक ठाकरे के वफादर सुभाष देसाई हैं. 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने सामना के संपादक पद से इस्तीफा दे दिया था और मार्च 2020 में अपनी पत्नी को संपादक का पद सौंप दिया था. हालांकि, शिवसेना के विभाजन के बाद उद्धव ने अगस्त 2022 में फिर से संपादक का पद संभाला. संजय राउत पार्टी के मुखपत्र के कार्यकारी संपादक हैं.


शिवसेना के इतिहास पर किताब ‘जय महाराष्ट्र’ लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री शिंदे ने शिवसेना भवन और सामना पर दावा न करने का परिपक्व फैसला लिया है क्योंकि ये दोनों संस्थान निजी ट्रस्ट द्वारा संचालित हैं. इन प्रतिष्ठानों पर दावा जताने से और कानूनी पेचीदगियां पैदा होंगी. यह समर्थकों के लिए संयम बरतने का अप्रत्यक्ष संदेश भी है.’’


यह भी पढ़ें: Mumbai: 50 मिनट का सफर सिर्फ 6 मिनट में! साउथ मुंबई में बनेगा नया ब्रिज, जानिए कब तक बनकर होगा तैयार