Shiv Sena Party Symbol: महाराष्ट्र का सत्ता संघर्ष कौन करेगा तय, सात जजों की संविधान पीठ या पांच जजों की? आज फैसला
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर संविधान पीठ कितने जजों की सुनवाई करेगी, इस पर आज फैसला होने की संभावना है. शिंदे गुट की ओर से एड. हरीश साल्वे दलील पेश करेंगे.
![Shiv Sena Party Symbol: महाराष्ट्र का सत्ता संघर्ष कौन करेगा तय, सात जजों की संविधान पीठ या पांच जजों की? आज फैसला Shiv Sena Party Symbol Row Hearing Today Uddhav Thackeray Eknath Shinde Shiv Sena Party Symbol: महाराष्ट्र का सत्ता संघर्ष कौन करेगा तय, सात जजों की संविधान पीठ या पांच जजों की? आज फैसला](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/15/aaf3a3e91f586f51183024c70df2151c1676426865940359_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Shiv sena: महाराष्ट्र में चल रहे सत्ता संघर्ष पर सात जजों की संविधान पीठ फैसला करेगी या फिर पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष होने वाली सुनवाई में आज फैसला आने की संभावना है. मंगलवार को संबंधित ठाकरे गुट की ओर से दलीलें दी गईं. शिंदे गुट की ओर से आज दलीलें पेश की जाएंगी और आज फैसला हो सकता है. ठाकरे समूह ने सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष इस मुद्दे पर सुनवाई की मांग की है कि क्या उन्हें विधानसभा के उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के दौरान विधायकों को अयोग्य ठहराने का अधिकार है.
मंगलवार को ठाकरे गुट की तरफ से कपिल सिब्बल ने बहस की. शिंदे गुट की तरफ से इसकी कोई जरूरत नहीं है, लेकिन मांग की जा रही है कि इसे पांच जजों की संविधान पीठ के सामने सुना जाए.
ठाकरे समूह ने मांग की है कि अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए. शिंदे गुट की ओर से एड. हरीश साल्वे दलील पेश करेंगे. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि आज शाम तक इस मामले का फैसला आ जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला लेने के लिए तीन दिन यानी मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को रिजर्व रखा है. मंगलवार की सुनवाई खत्म हो चुकी है और आज फिर सुनवाई होगी. अगर आज इस मामले में फैसला नहीं हुआ तो गुरुवार को फैसला हो जाएगा.
इन सभी मामलों में अहम मुद्दा यह है कि क्या पीठासीन अधिकारी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित होने पर उसे कार्रवाई करने का अधिकार है. 2016 में, पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने अरुणाचल प्रदेश में नबाम रेबिया मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. यह निर्णय कहता है कि अध्यक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव के लंबित रहने के दौरान कार्य करने की कोई शक्ति नहीं है. इस नतीजे के आधार पर शिंदे गुट दावा कर रहा है कि उपाध्यक्ष नरहरि जीरावल को विधायकों की अयोग्यता के संबंध में कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)