Maharashtra: 'इंसाफ नहीं हुआ... शिवसेना ठाकरे की थी, है और रहेगी', चुनाव आयोग के नतीजों पर अब 'सामना' से वार
Maharashtra Politics: शिवसेना के हाथ से पार्टी का नाम और पार्टी सिंबल जाने के बाद ठाकरे गुट ने अब सामना के संपादकीय से बीजेपी, एकनाथ शिंदे गुट और चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा है.
Saamana Editorial Today: उद्धव ठाकरे के हाथ से शिवसेना का नाम और पार्टी सिंबल जाने के बाद ठाकरे गुट ने 'सामना' में शिंदे गुट और चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा है. सामना के संपादकीय में आरोप लगाते हुए लिखा गया है कि न्याय नहीं किया गया और परिणाम खरीदा गया. सामना में यह विश्वास भी व्यक्त किया है कि शिवसेना ठाकरे की थी, है और रहेगी. इसके अलावा सामना के संपादकीय से सीधे तौर पर कहा गया है कि शिवसेना के अस्तित्व को खत्म करने वाला यह परिणाम महाराष्ट्र को मंजूर नहीं है.
चुनाव आयोग पर साधा निशाना
एबीपी मांझा के अनुसार, सामना के संपादकीय में लिखा गया है, "चुनाव आयोग भले ही 'शिवसेना' नाम और चुनाव चिन्ह का नतीजा शिंदे के पक्ष में दे दे, लेकिन शिवसेना ठाकरे की थी, है और रहेगी. महाराष्ट्र में सरकार को कम से कम 2000 करोड़ के सौदे से खरीदा गया था. ये कैसा लोकतंत्र है?”, सामना में शिंदे गुट की भी आलोचना की गई है. आगे लिखा कि, "महाराष्ट्र इस फैसले को स्वीकार नहीं करता है जो शिवसेना के अस्तित्व को नष्ट कर देता है, न्याय नहीं किया गया और फैसला खरीदा गया था. व्यापारियों के राज्य में और क्या होगा? लड़ाई जारी रहेगी."
सामना में क्या-क्या लिखा गया?
समाना में आज 'विकट थाली न्याय' शीर्षक के तहत एक फ्रंट आर्टिकल छपा है. केंद्रीय चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष बाण ठाकरे से हटकर शिंदे गुट में चला गया. महाराष्ट्र में कम से कम 2000 करोड़ का सौदा कर सरकार खरीदी गई, यह कैसा लोकतंत्र है? महाराष्ट्र इस फैसले को स्वीकार नहीं करता है जो हिंदू धर्म के रक्षक और मराठी लोगों के गौरव शिवसेना के अस्तित्व को नष्ट कर देता है.
शिंदे गुट से ज्यादा खुश बीजेपी है. यह अब कोई रहस्य नहीं रह गया है कि शिवसेना ने नाम और चुनाव चिन्ह के परिणाम को उसी तरह खरीदा जैसे किसी दुकान से चने और मूंगफली को खरीदा जाता है. शिव जयंती के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र आकर शिंदे गुट को शिवसेना-धनुष बाण मिलने पर खुशी जाहिर की. ये भी आरोप लगाया गया कि चुनाव आयोग सत्ताधारी दल का गुलाम हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट में बेईमान विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुनवाई जारी है. चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक अपने फैसले पर रोक लगा देनी चाहिए थी. कल अडानी, अंबानी, नीरव मोदी उठेगा और इस तरह विधायक और सांसद खरीद कर पूरी पार्टी और सरकार पर अपना मालिकाना हक जताएगा. देश की सरकारें रोज बंगले की तरह गिराई जाएंगी. बीजेपी ने यह घिनौना कृत्य तब किया जब आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा था. प्रधानमंत्री मोदी को अब लाल किले से घोषणा करनी चाहिए कि, "हमने आजादी के 75 साल बर्बाद कर दिए.