Maharashtra Political Crisis: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवसेना ने बांधे CJI की तारीफों के पुल, कहा- संवैधानिक संस्थाएं भले मर गई लेकिन न्याय...
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवसेना ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ की तारीफों के पुल बांधे. शिवसेना के मुख पत्र सामना के संपादकीय में सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को लेकर टिप्पणी की गई.
Supreme Court On Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवसेना ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की तारीफों के पुल बांधे हैं. शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में उनके फैसले के आधार पर कहा है कि 'न्याय' मरा नहीं है. संपादकीय में शिवसेना ने सीएम एकनाथ शिंदे और उनकी सरकार को अवैध बताते हुए कहा कि बागी गुट का पार्टी के मूल पर अधिकार नहीं होता.
सामना के शुक्रवार के अंक में छपे संपादकीय में सीजेआई को लेकर लिखा गया- मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ का ऋण लोकतंत्र, संसदीय व्यवस्था नहीं भुला पाएगी. राजनीतिज्ञों द्वारा की गई बेईमानी पर उन्होंने तीखी टिप्पणी की, वे दबाव के आगे नहीं झुके. सरकारें आएंगी और जाएंगी, राजनीतिक उतार-चढ़ाव आते रहेंगे, लेकिन देश के संविधान और न्याय व्यवस्था में अभी भी ‘चंद्रचूड़’ हैं.
'संस्थाएं भले ही मर गई हों, लेकिन न्याय...'
सीजेआई की प्रशंसा करते हुए लिखा गया- मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने राम शास्त्री की शैली में व्यवहार किया और निडरता से उनके द्वारा पढ़े गए फैसले से यह स्पष्ट हो गया, ‘राजनीति, सत्ता, संवैधानिक संस्थाएं भले ही मर गई हों, लेकिन न्याय मरा नहीं है!’
संपादकीय में लिखा गया- सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिखा दिया है कि न्याय मरा नहीं है. यहां तक कि शिंदे और उनके बागी गुट का अंतर्वस्त्र भी सर्वोच्च न्यायालय ने उतार दिया, फिर भी ‘जितंमय्या’ के आवेश में वे नाच रहे हैं तो यह उनका सवाल है!
सामना में लिखा गया- 'महाराष्ट्र में शिंदे की सरकार बनाते समय संसदीय आदर्श, सरकारी तंत्र, राज्यपाल, संवैधानिक प्रावधान जैसे सब कुछ पैरों तले रौंद दिया गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि ‘उद्धव ठाकरे ने स्वेच्छा से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया होता तो उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर बहाल करना संभव होता.’ यह बात देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कही है. इसका मतलब आज के मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को अवैध करार दिया है.'