Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को लेकर सवाल किए गए हैं. इसके अलावा सामना में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा गया है कि आज की सरकार और सीएम अवैध है. सामना में लिखा गया- मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने राम शास्त्री की शैली में व्यवहार किया और निडरता से उनके द्वारा पढ़े गए फैसले से यह स्पष्ट हो गया, ‘राजनीति, सत्ता, संवैधानिक संस्थाएं भले ही मर गई हों, लेकिन न्याय मरा नहीं है!’


सामना की संपादकीय में कहा गया- सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि ‘उद्धव ठाकरे ने स्वेच्छा से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया होता तो उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर बहाल करना संभव होता.’ यह बात देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कही है. इसका मतलब आज के मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को अवैध करार दिया है. 


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सुविधानुसार फैसले का अर्थ निकाल रहे- फडणवीस
शिवसेना पर दावे को लेकर शिवसेना के सामना में कहा गया- महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी बागी गुट मूल पार्टी पर दावा नहीं कर सकता. बागी गुट द्वारा नियुक्त किए गए प्रतोद भरत गोगावले अवैध हैं. देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि शिवसेना के सुनील प्रभु ही असली प्रतोद हैं. तत्कालीन राज्यपाल की भूमिका संदिग्ध है. जो नहीं करना चाहिए था, वह उन्होंने किया. नई सरकार के गठन की अनुमति देते समय उनके द्वारा की गई कृति को भी सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक ठहरा दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया. 


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के बयानों पर शिवसेना ने कहा- फडणवीसवकील हैं. वे बेहद गलत तरीके से राजनीतिक सुविधा का अर्थ इस फैसले का निकाल रहे हैं.