Shiv Sena and Dhanush Baan: केंद्रीय चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को बड़ा झटका दिया है. शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह धनुष बाण एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी को दिया गया है. कुछ दिन पहले चुनाव आयोग के सामने पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावे को लेकर सुनवाई हुई थी. चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी द्वारा की गई एक गलती को उजागर किया है. कहा जाता है कि इस एक गलती ने पार्टी पर ठाकरे के दावे को कमजोर कर दिया. एकनाथ शिंदे के पक्ष में चुनाव आयोग के फैसले के साथ, ठाकरे और शिवसेना के बीच पिछले छह दशकों से संबंध अब समाप्त हो गए हैं. 


क्या उद्धव से हुई ये गलती?
2018 में शिवसेना पार्टी के संविधान में बदलाव की सूचना चुनाव आयोग को नहीं दी गई थी. शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे द्वारा बनाए गए 1999 के पार्टी संविधान में निहित अंतर-पार्टी लोकतांत्रिक मानदंडों को बदल दिया गया. उस वक्त बालासाहेब ठाकरे ने चुनाव आयोग से पार्टी संविधान में बदलाव को मंजूरी दी थी. लेकिन 2018 में हुए बदलावों की सूचना चुनाव आयोग को नहीं दी गई.    


चुनाव आयोग ने पाया है कि शिवसेना पार्टी द्वारा 2018 में पार्टी संविधान में किए गए बदलाव लोकतंत्र के अनुकूल नहीं हैं. बिना पार्टी चुनाव कराये पदाधिकारियों की नियुक्ति की गयी. इससे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने चुनाव आयोग का विश्वास खो दिया था. 


शिंदे का ठाकरे को झटका
1999 में बालासाहेब ठाकरे द्वारा पार्टी संविधान में किए गए कुछ बदलाव लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुकूल नहीं थे. उस वक्त चुनाव आयोग ने इन बदलावों को खारिज कर दिया था. चुनाव आयोग की आपत्तियों के बाद, पार्टी संविधान को और अधिक सुसंगत बनाया गया. पार्टी के संविधान में फिर से गुप्त रूप से अलोकतांत्रिक परिवर्तन किए गए. इसलिए चुनाव आयोग ने पाया कि पार्टी एक परिवार की संपत्ति बन गई है. 


एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ शिवसेना छोड़ने का फैसला किया था. उसके बाद उन्होंने शिवसेना पार्टी और सिंबल पर दावा किया. चुनाव आयोग के सामने लड़ाई चल रही थी. इस संबंध में आज चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया है. इसमें उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है. इसे धनुष और बाण का प्रतीक और शिवसेना नाम भी मिला.


पार्टी की संसदीय ताकत किसके साथ?
एकनाथ शिंदे के पास 67 में से 40 विधायक हैं. तो, लोकसभा में 13 सांसद शिंदे गुट के साथ हैं. तो, उद्धव ठाकरे के साथ लोकसभा के 7 सांसद, राज्यसभा के 3 सांसद और विधानसभा के 13 विधायक हैं. विधान परिषद में विधायक भी ठाकरे के साथ हैं.  


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