Maharashtra News: शिवसेना के उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) नीत खेमे ने मंगलवार को एक असामान्य कदम उठाते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से अनुरोध किया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उनके खेमे के शिवसेना विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता (Disqualification) कार्यवाही पर फैसला किया जाए. शिवसेना (Shiv Sena UBT) ने कहा कि संविधान की लोकतांत्रिक भावना को कायम रखने का यही एकमात्र तरीका होगा.


'राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं राज्यपाल'


पार्टी ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल बी एस कोश्यारी के पिछले साल शिंदे को ऐसे समय में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने के फैसले पर सवाल उठाया जबकि उनके तथा अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही विधानसभा उपाध्यक्ष के समक्ष लंबित थी. उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना ने आरोप लगाया कि संवैधानिक पदों पर बैठे राज्यपाल जैसे लोग देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.


बहुमत जाने बगैर राज्यपाल कैसे....शपथ दिला सकता है- सिब्बल


प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष ठाकरे खेमे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. सिब्बल ने कहा कि सभी जानते हैं कि जब राज्यपाल ने सुबह-सुबह एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी और कुछ ही समय बाद उस व्यक्ति को इस्तीफा देना पड़ा था तो क्या हुआ था. वह वस्तुत: बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के 2019 में शपथ लेने के 80 घंटे के भीतर इस्तीफा देने के घटनाक्रम का उल्लेख कर रहे थे.


कपिल सिब्बल ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल यह जाने बिना किसी व्यक्ति को मुख्यंमंत्री के रूप में कैसे शपथ दिला सकते हैं कि वह सदन में बहुमत हासिल कर सकता है या नहीं? उन्होंने आगे कहा कि क्या राज्यपाल ऐसे व्यक्ति को शपथ दिला सकते हैं जिसके खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई लंबित है. राज्यपालों ने हाल ही में अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से परे काम किया है, दुर्भाग्य से उन्होंने देश की राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया है.


'विधानसभा अध्यक्ष को दें कार्यवाही पर फैसला करने का निर्देश'


कपिल सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष को सात दिनों के भीतर बागी विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता की कार्यवाही पर फैसला करने का निर्देश दें. गौरतलब है कि 30 जून 2022 को तत्कालीन गवर्नर भगतसिंह कोश्यारी ने एक नाथशिंदे को शिवसेना के बागी विधायकों और बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था.


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