अयोग्यता मामला: शिंदे गुट के मुख्य सचेतक ने स्पीकर के फैसले को दी चुनौती, उद्धव गुट का पलटवार
Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे गुट के नेता अजय चौधरी ने HC को बताया कि गोगावले ने विपक्षी दल के विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है
Shiv Sena UBT To Bombay HC: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे गुट शिवसेना (यूबीटी) के नेता अजय चौधरी ने विधायकों की अयोग्यता के मामले में शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले को घेरा है. उन्होंने सोमवार (5 अगस्त) को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि CM एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के मुख्य सचेतक गोगावले ने विपक्षी दल के विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक उद्धव ठाकरे गुट के नेता चौधरी ने दावा किया कि गोगावले ने देरी की रणनीति अपनाने के प्राथमिक उद्देश्य से याचिका दायर की है. विपक्षी पार्टी के विधायक ने इस साल जनवरी में गोगावले द्वारा दायर याचिका के जवाब में सोमवार को वकील असीम सरोदे के माध्यम से एक हलफनामा दायर किया.
याचिका में शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सचेतक ने प्रतिद्वंद्वी शिवसेना (यूबीटी) के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करने वाले अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के 10 जनवरी के आदेश की वैधता (Legality), औचित्य (propriety) और यथार्थता (Correctness) को चुनौती दी है.
गोगावले ने हाईकोर्ट से मांग की है कि स्पीकर के आदेश को कानून की दृष्टि से बेकार घोषित किया जाए, इसे रद्द किया जाए और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के सभी 14 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाए. हाई कोर्ट ने तब सभी 14 विधायकों और नार्वेकर को भी नोटिस जारी किया था और उन्हें अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया.
अजय चौधरी, उन विधायकों में से एक हैं, जिनकी अयोग्यता की मांग उनके प्रतिद्वंद्वी खेमे ने की है. चौधरी ने कहा कि याचिका भ्रम पैदा करने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा विचार किए जा रहे मामलों में देरी करने के लिए दायर की गई है. उन्होंने हलफनामे में कहा, ''दायर की गई याचिका झूठी, तुच्छ और अस्थिर है और क्षतिपूर्ति लागत के साथ खारिज की जा सकती है.
स्पीकर ने माना था कि शिंदे असली शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं और वह सत्तारूढ़ दल के कानूनी रूप से नियुक्त मुख्य सचेतक थे, उन्हें (नार्वेकर को) पार्टी के खिलाफ उनके कार्यों के लिए 14 शिवसेना (यूबीटी) विधायकों को अयोग्य घोषित करना चाहिए था.
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