Maharashtra News: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर शिवसेना-यूबीटी ने अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए सरकार को घेरा है. 'सामना' के संपादकीय में लिखा गया है कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में 76 लाख वोट बढ़े. साथ ही लिखा है कि 'जिसकी लाठी उसकी भैंस की तर्ज पर हमारा लोकतंत्र चल रहा है. भारत का चुनाव आयोग लाठी है और यह लाठी फिलहाल पीएम मोदी और अमित शाह के हाथ में है. इसलिए लोकतंत्र की भैंस उनकी ही है.'


'सामना' के मुताबिक, इस बात का क्या रहस्य है कि आखिरी घंटे-डेढ़ घंटे में 76 लाख वोट बढ़ जाते हैं, वोटिंग फीसदी बढ़ जाती है और इस अचानक बढ़े फीसद पर बीजेपी और उनके साथी दल सवा दो सौ सीटें जीतकर महाराष्ट्र में सरकार बनाते हैं? यह सवाल महाराष्ट्र कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पूछा, लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शंकाओं को खारिज कर दिया और फैसला सुनाया कि एक घंटे के भीतर 76 लाख वोट बढ़ना आसानी से संभव है.


मुखपत्र में लिखा गया है कि चुनाव आयोग इस बारे में कोई तर्कसंगत स्पष्टीकरण नहीं दे सका कि आखिरी डेढ़ घंटे में यह मतदान कैसे बढ़ गया. एक घंटे के भीतर इतना वोट कैसे बढ़ गया और उसमें भी बीजेपी और उसके सहयोगियों द्वारा जीती गई सीटों पर भी औसतन 25 हजार से 30 हजार तक मतदान अचानक कैसे बढ़ गया? 


'यही सवाल हरियाणा चुनाव को लेकर भी उठाया गया'
'सामना' में आगे लिखा है, "ये प्रश्न बिल्कुल स्वाभाविक हैं और आम मतदाताओं का भी यही सवाल है. यही सवाल हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर भी उठाया गया. अगर तस्वीर कुछ इस तरह होती कि मतदान केंद्रों के बाहर हजारों लोगों की लंबी कतारें हैं और मतदान करने के लिए मतदान केंद्र पर भीड़ उमड़ पड़ी है, तो इस बढ़े हुए 76 लाख मतदान को वास्तविक माना जा सकता था. इसी सिलसिले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज मांगी थी."


उसके मुताबिक, "आयोग को इसे कोर्ट में जमा करना चाहिए था, लेकिन पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के हरियाणा विधानसभा चुनाव मामले में ऐसे सीसीटीवी फुटेज मांगते ही सरकार के तोते उड़ गए और आदेश जारी कर दिया कि ऐसा कोई भी रिकॉर्ड नागरिकों को नहीं दिया जा सकता. यही संदेहास्पद है. महाराष्ट्र में आखिरी घंटे में 76 हजार मतदान बढ़ा यही अहम मसला है और चुनाव आयोग केवल इतना कह रहा है कि ऐसा हो सकता है. इतने वोटर जमीन से निकले या हवा से उतरे? तो फिर मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज सामने क्यों नहीं लाए जा रहे हैं?"


'आयोग ने कांग्रेस की शिकायत पर 60 पेज का जवाब दिया'
'सामना' के अनुसार, चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत पर 60 पेज का जवाब दिया और कहा कि 76 लाख वोट की बढ़ोतरी सही है. ऐसे सवाल उठता है कि फिर मतदान केंद्रों के साक्ष्यों और फुटेज को क्यों नकारा जा रहा है? परली जैसे मतदान केंद्रों पर धनुभाऊ के गुंडे लोगों को मतदान केंद्रों पर फटकने नहीं दे रहे थे. इस गुंडागर्दी की फोटोज सामने आई. यह आतंक कई विधानसभा क्षेत्रों में हुआ. फिलहाल चुनाव आयोग को यह सब नहीं दिखा.


चुनाव आयोग का कहना है कि महाराष्ट्र में चुनाव पारदर्शी तरीके से कराए गए. उनका कहना है कि वोटिंग प्रतिशत में बदलाव नामुमकिन है. चुनाव आयोग का यह दावा महज सरकार की तरफदारी है, जो लोग शरद पवार की पार्टी को अजित पवार को और शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को एकनाथ शिंदे को सौंप सकते हैं, वे मोदी-शाह के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. मौजूदा चुनाव आयोग को यह भान ही नहीं है कि वह एक संवैधानिक संस्था है और देश में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना उसकी जिम्मेदारी है. 


'लोगों का चुनाव पर से विश्वास उठ जाएगा'
शिवसेना-यूबीटी की ओर से लिखा गया, "चुनाव आयोग नियमों में बदलाव कर देश की आजादी और लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रहा है, जिससे चुनाव पर से विश्वास उठ जाएगा. इसलिए महाराष्ट्र में मतदान केंद्रों पर शाम पांच बजने के बाद कोई कतार नहीं होने के बावजूद 76 लाख मत बढ़ गए यह चमत्कार खरा है, इस तरह का दावा करने वाले भारतीय चुनाव आयोग की जय हो, ऐसा ही कहना होगा. लोगों की चुनाव आयोग से एक ही मांग है, वह यह कि जो 76 लाख वोट बढ़े उनकी सीसीटीवी फुटेज दिखा दीजिए, लेकिन चुनाव आयोग सवाल को एक वाक्य में खत्म कर देता है, मोदी है तो मुमकिन है. धन्य है चुनाव आयोग!"



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