Vitthal Rukmini Temple Pune: महाराष्ट्र की एक प्रसिद्ध मंदिर से एक अनोखा मामला सामने आया है. इस मामले के बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. दरअसल, गुजरात आमलकी एकादशी के अवसर पर पंढरपुर के विथुरया मंदिर को अंगूर और फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया, मंदिर की सजावट के लिए लगाए एक टन अंगूर अचानक गायब हो गए. जैसे ही लोगों का ध्यान इस तरफ गया सभी हैरान हो गए. लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि अचानक ये अंगूर कहां गायब हो गए. 


यह घटना महाराष्ट्र के पंढरपुर स्थित विथुरया मंदिर की है. आमलकी एकादशी के अवसर पर पंढरपुर के विथुरया मंदिर को अंगूर और फूलों से आकर्षक अंदाज में सजाया गया. विठ्ठल रुक्मिणी गभरा को सजाने के लिए एक टन अंगूर का इस्तेमाल में लाया गया था. सजावट के लिए लगाए गए सारे अंगूर महज आधे घंटे में गायब हो गए. इस बात की चर्चा 3 मार्च को उस समय शुरू हुई जब छह बजे शृंगार के बाद भक्तों के दर्शन शुरू हुए और आधे घंटे के भीतर एक टन अंगूर का एक दाना भी नहीं मिले. इस घटना पर मंदिर पुजारी सहित मौके पर मौजूद विठ्ठल रुक्मिणी गभरा के भक्त अभी तक विश्वास नहीं कर पा रहे हैं. 


विठ्ठल रुक्मिणी गभरा के भक्तों का कहना है कि भला यह कैसे हो सकता है कि एक टन अंगूर अचानक गायब हो जाएं. लोगों का कहना है ​कि, 'यह तो सिर्फ चमत्कार हो सकता है'. इसके बाद से इलाके में अंगूर गायब होने की चर्चा है. इतना ही नहीं, सूचना ​फैलने के बाद से भारी संख्या में लोग मंदिर पहुंचने लगे हैं. भक्तों की भीड़ वहां पर लग गई है. 


विठ्ठल के भक्तों ने की जांच की मांग 


अंगूर की बात मंदिर से एक टन अंगूर गायब होने के बाद से पंढरपुर के प्रभावी व आम लोग इस घटना की जांच की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि अगर इसमें किसी तरह से कोई गड़बड़ है तो अंगूर देने वाले भक्तों की भावनाएं भी आहत हुई हैं. भगवान विठ्ठल के भक्तों ने मांग की है कि मंदिर प्रशासन को तत्काल पता लगाना चाहिए कि इस प्रकार के काम में कौन शामिल है? ताकि इस तरह की घटना दोबारा होने से रोका जाए. बता दें कि हर साल की तरह इस बार भी आमलकी एकादशी के अवसर पर पंढरपुर को मौसमी फलों और फूलों से सजाया गया है. महाराष्ट्र में लाखों वैष्णवों के पूजा स्थल श्री विठ्ठल की सजावट के लिए भक्त सेवाएं दे रहे हैं. शुक्रवार को फाल्गुन शुद्ध यानी आमलकी एकादशी है, जिसे अवलची एकादशी कहते हैं. वारकरी संप्रदाय में विठ्ठल भक्तों में प्रकृति के प्रति सम्मान बढ़ाने के लिए इस एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है. विठ्ठल रुक्मिणी गभरा को सजाने के लिए एक हजार किलो अंगूरों का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन अंगूर अचानक गायब होने से यह मामला सुर्खियों में है. 


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