Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले इस बार महायुति की टेंशन सोयाबीन ने बढ़ा दी है. गन्ने और प्याज के बाद अब सोयाबीन राज्य का सियासी पारा बढ़ा सकता है और महायुति गठबंधन की सरकार को नुकसान भी पहुंचा सकता है. दरअसल, सोयाबीन की फसल कटने से कई हफ्ते पहले ही किसानों को ये डर सता रहा है कि फसल के दाम गिरने वाले हैं. इसका असर आगामी चुनाव पर भी पड़ सकता है. 


गन्ना और प्याज तो महाराष्ट्र के पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों में बोया जाता है, लेकिन सोयाबीन की खेती महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ रीजन में होती है. यहां किसानों ने इस खरीफ सीजन में रिकॉर्ड मात्रा में 50.36 लाख हेक्टेयर पर सोयाबीन की खेती की है. अब किसानों को चिंता है कि सोयाबीन के दाम कम हो जाएंगे तो उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है. 


तीन साल से लगातार गिर रहे सोयाबीन के दाम
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा समय में लातूर मार्केट में सोयाबीन का थोक मूल्य 4,300 रुपये से 4,350 रुपये के बीच है. यही दाम साल 2023 में 4850 रुपये से 4900 रुपये के बीच थे. इससे भी एक साल पहला ये दाम 6000 रुपये तक थे. 


अब किसानों ने चिंता जाहिर की है कि अगर सोयाबीन के दाम पहले ही एमएसपी (4892 प्रति क्विंटल) से कम हो गए हैं, तो नई फसल के मंडी में आने के दौरान क्या हालत होगी? ये परेशान किसानों ने मनोज जरांगे पाटील से भी शेयर की है. बता दें, मनोज जरांगे पाटील मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे हैं और इस समुदाय के लोग प्रमुख तौर पर किसानी से जुड़े हैं. 


किसानों का मानना है कि सोयाबीन के गिरते दाम की वजह केंद्र सरकार द्वारा सस्ते तेल का आयात है. अर्जेंटीना, ब्राजील, इंडोनेशिया, मलेशिया, रूस, यूक्रेन और रोमेनिया से सोयाबीन, पाम ऑयल और सूरजमुखी का तेल इम्पोर्ट किया जाता है. किसानों की मांग है कि सरकार इन सस्ते आयातों पर जल्द से जल्द एक्शन ले, वरना चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. 


प्याज बनी थी लोकसभा में महायुति की हार की वजह
गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में भी प्याज की कम कीमतों ने महायुति को नुकसान पहुंचाया था. अजित पवार ने खुद स्वीकार किया कि महाराष्ट्र में प्याज के कम दाम के साथ-साथ किचन से जुड़े मुद्दों की वजह से उत्पादकों में असंतोष था. इसी असंतोष का खामियाजा महायुति को सीट गंवा कर भुगतना पड़ा.


यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में पिछली बार जीती सीटों से भी कम रखा BJP ने टारगेट! आखिर क्यों लिया चौंकाने वाला फैसला?