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Unemployment: कोरोना काल में बेरोजगारी के चलते महाराष्ट्र और यूपी में भी बढ़े Suicide के मामले, सरकार ने संसद में दी जानकारी
कोरोना काल में बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं. महाराष्ट्र और यूपी इस मामले में क्रमश: दूसरे और पांचवें स्थान पर है. ये जानकारी राज्य मंत्री (गृह) नित्यानंद राय ने राज्यसभा में दी.
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Suicide due to Unemployment : पूरी दुनिया सहित भारत में भी कोरोना संक्रमण (Coronavirus) ने भयंकर तबाही मचाई. इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आकर जहां कई लोगों की मौत हुई तो कई लोगों की नौकरी छूट गई और वे बेरोजगार हो गए. यहां तक कि कई बेरोजगारों ने आत्महत्या भी कर ली. वहीं एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए राज्य मंत्री (गृह) नित्यानंद राय (Nityanand Rai) ने बुधवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि 2020 में बेरोजगारी के कारण 3,548 लोगों की आत्महत्या से मौत हुई.
साल 2020 में बेरोजगारी की वजह से सबसे ज्यादा आत्महत्याओं के मामले आए
वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau) के आंकड़ों के अनुसार, महामारी वर्ष, 2020 में हाल के दिनों में बेरोजगारों के बीच आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले आए जिसके बाद पहली बार सुसाइड का आंकड़ा 3,000 को पार कर गया. . राय ने यह भी कहा कि 2018 और 2020 के बीच, दिवालियापन या ऋणग्रस्तता के कारण आत्महत्या से 16,091 की मृत्यु हुई. जिसमें 2018 में 4,970, 2019 में 590 और 2020 में 5213 मौत हुईं.
बेरोजगारी के कारण महाराष्ट्र और यूपी 2020 में कितने लोगों ने की सुसाइड?
वहीं एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में आत्महत्या के मामलों में महराष्ट्र दूसरे स्थान और यूपी पांचवे स्थान पर है. बता दें कि महाराष्ट्र राज्य में बेरोजगारी के कारण 625 लोगों ने खुद अपने हाथों अपनी सांसों की डोर तोड़ दी वहीं उत्तर प्रदेश में भी 227 लोगों ने बेरोजगारी की वजह से सुसाइड कर ली.
वहीं दिवालियापन या कर्ज के कारण आत्महत्याओं के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे हैं. यहां हर साल सबसे ज्यादा किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबरें आती हैं. साल 2020 में यहां 1,341 सुसाइड के मामले आए
पिछले कुछ सालों में बेरोजगारी की वजह से बढ़े हैं आत्महत्या के मामले
वहीं एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में बेरोजगारों के चलते आत्महत्याएं किए जाने के मामले बढ़े हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 में 2851, 2018 में 2741, 2017 में 2404, 2016 में 2298, 2015 में 2723 और 2014 में 2207 लोगों ने आत्महत्या की. केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार (2014-2020) के दौरान बेरोजगारों में आत्महत्याओं की कुल संख्या 18,772 थी, जो प्रति वर्ष औसतन 2,681 मौतें थीं
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