Shiv Sena Row: सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना पार्टी और सिंबल को लेकर सुनवाई एक बार फिर टल गई है. चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई फिर टल गई है. अब दिवाली के बाद सुनवाई होने की संभावना है. ठाकरे गुट का कहना है कि चुनाव आयोग का फैसला एकतरफा है और इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस फैसले को पलट देना चाहिए. पार्टी और चुनाव चिह्न याचिका पर अब दिवाली के बाद सुनवाई होने की संभावना है. पार्टी और सिंबल पर नवंबर में सुनवाई होने की संभावना है.
केंद्रीय चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ ठाकरे गुट
केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार दिया है. इसके बाद चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ ठाकरे समूह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. यह याचिका तब दायर की गई जब सत्ता संघर्ष याचिका पर सुनवाई चल रही थी. लेकिन इसकी सुनवाई नहीं हुई. याचिका पर आज पहली बार सुनवाई होनी थी. लेकिन ये सुनवाई आगे के लिए टाल दी गई है और तीन हफ्ते बाद होगी.
कब कैसे और क्या हुआ?
एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ शिवसेना छोड़ने का फैसला किया था. इसके बाद उन्होंने शिवसेना पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावा किया. चुनाव आयोग के सामने लड़ाई चल रही थी. 2018 में शिवसेना पार्टी के संविधान में बदलाव की सूचना चुनाव आयोग को नहीं दी गई थी. 1999 में शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे द्वारा तैयार किए गए पार्टी संविधान में शामिल अंतर-पार्टी लोकतांत्रिक मानदंडों को बदल दिया.
उस वक्त बाला साहेब ठाकरे ने चुनाव आयोग से पार्टी संविधान में बदलाव को मंजूरी दी थी. लेकिन 2018 में हुए बदलावों की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी गई. चुनाव आयोग ने पाया है कि 2018 में शिवसेना पार्टी द्वारा पार्टी संविधान में किए गए बदलाव लोकतंत्र के अनुकूल नहीं हैं. बिना पार्टी चुनाव कराए पदाधिकारियों की नियुक्तियां की गईं. इसके चलते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने चुनाव आयोग का विश्वास खो दिया.
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