Param Bir Singh: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी. न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि इस मामले की जांच किसे करनी चाहिए, इस पर सत्ता के शीर्ष स्तर के बीच एक बहुत ही अस्पष्ट स्थिति जारी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य पुलिस में लोगों का विश्वास फिर से बहाल करने के लिए गहन जांच की जरूरत है.
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत करने वालों द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. हमारा विचार है कि राज्य को ही सीबीआई को जांच करने की अनुमति देनी चाहिए थी.’’
पीठ ने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया हमारा विचार है कि कुछ मामलों में सीबीआई द्वारा जांच की आवश्यकता है. सच्चाई क्या है, किसकी गलती है, इस तरह का परिदृश्य कैसे बना, इसकी जरूर जांच होनी चाहिए. सीबीआई को इन सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए.’’
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शीर्ष अदालत ने कहा कि वह आरोपों के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं कर रही है क्योंकि वह नहीं चाहती कि जांच किसी भी तरह से प्रभावित हो. पीठ ने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि जांच इस अदालत की टिप्पणी से प्रभावित हो. उच्च कोर्ट ने इसे एक सेवा विवाद के रूप में माना है, जो यह नहीं है और इस प्रकार हम उच्च कोर्ट के फैसले को खारिज करते हैं. हम अपील की अनुमति देते हैं और निर्देश देते हैं कि पांच प्राथमिकियों की जांच सभी रिकॉर्ड के साथ सीबीआई को स्थानांतरित की जाए. पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह के स्थानांतरण को एक सप्ताह के भीतर पूरा किया जाना है और सभी अधिकारी सच्चाई तक पहुंचने के लिए सीबीआई को पूरा सहयोग देंगे.’’
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