(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Supriya Sule: 'बीजेपी ने दिया था ऑफर, मैं चाहती तो...', शरद गुट की सांसद सुप्रिया सुले का बड़ा खुलासा
Supriya Sule Interview: शरद गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने अजित पवार, एनसीपी में टूट और 2019 के शपथ ग्रहण समारोह के बारे में खुलकर अपनी बातें रखी हैं.
Supriya Sule on Ajit Pawar: महाराष्ट्र में बारामती सीट पर लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर घमासान जारी है. इस सीट से मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले हैं. उनके पिता शरद पवार ने सुले को दोबारा इसी सीट से चुनावी टिकट देकर मैदान में उतारा है. इस बार उनका मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि अजित पवार गुट से ही होने की संभावना है. कहा जा रहा है कि इस सीट से अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार सकते हैं.
शरद गुट की सांसद का बड़ा दावा
सांसद सुप्रिया सुले ने TOI को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कई बड़े खुलासे किए. उन्होंने कहा, अगर उनकी विचारधारा मजबूत नहीं होती, तो वह 2017 में कैबिनेट मंत्री होतीं. उन्होंने यह भी कहा कि चचेरे भाई अजित पवार के साथ सुलह की संभावना कम है.
अजित पवार पर साधा निशाना
सुप्रिया सुले ने अजित पवार पर निशाना साधते हुए कहा, जब कोई एक बार गलती करता है तो यह समझ में आता है, लेकिन अगर वह बार-बार वही गलती करता रहता है, तो यह गलती नहीं बल्कि एक विकल्प है. अजित पवार के साथ सुलह की कोई संभावना नहीं है. अब उनके (अजित पवार) पास अपना संगठन है और हमारे पास अपना. लेकिन, मुझे कोई शिकायत नहीं है.
2019 शपथ ग्रहण समारोह का जिक्र
इस दौरान सांसद सुप्रिया सुले ने 2019 के शपथ ग्रहण समारोह पर भी अपनी बातें रखी. उन्होंने इस सवाल का जवाब दिया कि क्या इस कार्यक्रम के बारे में शरद पवार को पता था. उन्होंने कहा, हमने कभी इस बात से इनकार नहीं किया कि हम बीजेपी के साथ बातचीत कर रहे थे, लेकिन एक बातचीत और एक शपथ समारोह दो पूरी तरह से अलग चीजें हैं. अगर हमने (2019 में) शपथ समारोह का समर्थन किया होता, तो हम उन्हें (अजित पवार को) वापस क्यों लेते? जो 2023 में हुआ वह 2019 में होता. सुले ने साफ कहा कि उन्हें नहीं पता था.
बीजेपी के 2019 के प्रस्ताव पर सांसद सुले ने जवाब दिया. उन्होंने कहा, प्रस्ताव उनकी ओर से हमारे पास आया था, इस पर विचार करने में क्या हर्ज था? हालांकि, अगर मेरी विचारधारा मजबूत नहीं होती, तो मैं 2017 में कैबिनेट मंत्री होती. मेरे पास तब विकल्प था. अजित पवार (2019 में) के साथ भी मेरे पास विकल्प था बीजेपी के साथ जाने का, लेकिन मैंने कठिन रास्ता चुना है.