ठाणे के अस्पताल में एक महीने में 21 नवजात शिशुओं की गई जान, जनवरी से मई तक 89 बच्चों ने तोड़ा था दम
Thane NICU Babies Death:पुणे के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में जून महीने में 21 नवजात बच्चों की मौत हो गई है. 21 बच्चों में से 15 बच्चों की डिलीवरी इसी अस्पताल में हुई थी.
Thane NICU Babies Death: मुंबई से सटे ठाणे के कलवा इलाके में स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल (ठाणे महानगर पालिका द्वारा संचालित) एक बार फिर चर्चा में है. वजब अस्पताल के (NICU) में बीते एक महीने में 21 नवजात शिशुओं की मौत है.
गौरतलब है कि इसी अस्पताल में साल 2023 के अगस्त में एक दिन में 18 मरीजों की मौत हो गई थी और एक बार फिर 30 दिन के अंदर 21 नवजात शिशुओं की मौत मामला गरमा गया है.
15 बच्चे इसी अस्पताल में जन्मे, 6 की डिलीवरी बाहर
अस्पताल प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, 21 नवजात शिशुओं के मौत के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. अक्सर यहां गर्भवती महिलाओं को ठाणे, उल्हासनगर, कल्याण, अंबरनाथ, बदलापुर कर्जत, खपोली, जव्हार- मोखड़ा (आदिवासी बाहुल्य इलाका), भिवंडी, मुरबाड़ जैसे इलाकों से गंभीर हालत में रेफर किया जाता है.
प्रशासन की ओर से कहा गया है कि अस्पताल में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पूरी कोशिश करते हैं कि बच्चे की डिलीवरी सही से करवाई जाए, लेकिन अलग अलग कारणों से बच्चों की मौत हो जाती है. बच्चों की मौत को लेकर अस्पताल की तरफ से जानकारी देते हुए कहा गया है कि 21 में से 15 बच्चों की डिलीवरी इसी अस्पताल में करवाई गई थी जबकि 6 बच्चों को दूसरे अस्पताल से रेफर किया गया था. 21 में से 19 बच्चों का वजन बेहद कम (यानी 1.5 किलो से भी कम) था. इनमें से 15 बच्चे ऐसे थे, जो प्री-टर्म बर्थ थे.
छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल पहुंचते है मरीज
दअरसल, बीते करीब एक साल से ठाणे जिला अस्पताल की मरम्मत का काम चल रहा है. इसी कारण ठाणे और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में मरीज़ इलाज के लिए कलवा के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में पहुंचते हैं. नतीजतन अस्पताल के डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों पर मरीजों की देखभाल सही ढंग से करने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. दूसरी हकीकत ये भी है कि अस्पताल में मरीजों के मुकाबले डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की संख्या काफी कम है.
1 माह में 18 मरीजों की हुई थी मौत
छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में सिर्फ 30 NICU यूनिट उपलब्ध है. इनमें से 20 बेड अस्पताल के मरीज के इलाज के लिए और 10 बेड बाहर से आए हुए मरीजों के लिए आरक्षित रखा गए हैं. बीते साल अगस्त महीने में एक दिन में 18 मरीजों की मौत के बाद इस अस्पताल के बाहर काफी हंगामा हुआ था.
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी इंतजाम नहीं
विपक्ष ने मरीजों की मौत को लेकर सरकार पर चौतरफा हमला बोला था. उसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अस्पताल के डीन से मिलकर अस्पताल में मरीजो के ईलाज के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए कहा था. लेकिन अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों के परिजनों का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी अस्पताल में कोई इंतजाम नहीं किया गया.
जनवरी से मई तक 89 नवजात शिशुओं की मौत
अस्पताल से मिले आंकड़े के मुताबिक जून महीने में कुल 512 बच्चो की डिलिवरी करवाई गई. 512 में से 90 बच्चों की हालत डिलवरी के समय बेहद नाज़ुक थी. इस साल अस्पताल में जनवरी से लेकर मई महीने तक कुल 89 नवजात शिशुओं की मौत हुई है. जनवरी महीने में 17, फरवरी महीने में 10, मार्च महीने में 22, अप्रैल महीने में 24, मई महीने में 16 और जून महीने में 21 नवजात शिशुओं की मौत हुई है.
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