Maharashtra: तीसरी लहर में नहीं रही रेमडेसिविर की मांग, अब इतनी दवाईयां हो जाएंगी Expire
Maharashtra Remdesivir Stock: रेमडेसेविर (Remdesivir) जिसे कभी कोविड (Covid19) की दूसरी लहर के दौरान काले बाजारों में अत्यधिक कीमत पर बेचा गया था, अब उसका कोई खरीददार ही नहीं है.
Maharashtra Remdesivir Stock: रेमडेसेविर (Remdesivir) जिसे कभी कोविड (Covid19) की दूसरी लहर के दौरान काले बाजारों में अत्यधिक कीमत पर बेचा गया था, अब उसका कोई खरीददार ही नहीं है. कोरोना के मामलों में गिरावट के साथ ही राज्य में उपलब्ध कई शीशियां समाप्ति की तारीख के करीब हैं. खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-मई, 2021 के बीच, जब राज्य में कोविड की दूसरी लहर अपने पीक पर थी, महाराष्ट्र में कुल 14.56 लाख रेमडेसिविर की खपत हुई.
लेकिन तीसरी लहर में, हालांकि दैनिक मामलों की संख्या में दो गुना वृद्धि हुई, लेकि संक्रमण की गंभीरता कम थी, इसी कारण रेमडेसिविर की मांग भी कम रही. दूसरी लहर में संक्रमण जितने गंभीर रूप से फैला था तब ऐसा माना जाने लगा था कि शायद इसकी तीसरी लहर इससे भी ज्यादा घाटक होगी, इसी लिए रेमडेसिविर को स्टोर कर के रखा गया. लेकिन हालात सामान्य रहे और इसकी मांग में बढ़त नहीं देखी गई.
तीसरी लहर में नहीं बड़ी जरूरत
महाराष्ट्र एफडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 18 फरवरी तक, राज्य में रेमडेसिविर की 7.40 लाख शीशियां थीं, जिनमें से लगभग 3 प्रतिशत शीशियां मार्च के अंत तक समाप्त हो जाएंगी. लेकिन दूसरी लहर के विपरीत, कोविड के लिए तथाकथित जीवन रक्षक दवा की दैनिक मांग लगभग 2,000 शीशियों तक आ गई है. जब पिछले साल नवंबर में तीसरी लहर यूरोपीय देशों में आई, तो भारी मांग की उम्मीद में, खुदरा विक्रेताओं ने लौटने से परहेज किया. लेकिन तीसरी लहर में, रेमेडिसविर की मांग न के बराबार थी, इसलिए अब उनके पास स्टॉक की गई शीशियों की एक बड़ी संख्या है.
रेमेडिसविर, एक पुनर्खरीद की गई एंटीवायरल दवा, दूसरी लहर में नियमों के बिना इस्तेमाल की गई थी जिसने इसकी मांग में काफी वृद्धि की. लोग इसे काला बाजारी में खरीदने को मजबूर थे. पिछले साल दिसंबर में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की कि रेमडेसिविर दवा का इस्तेमाल केवल 'मध्यम से गंभीर' कोविड वाले रोगियों पर ही किया जाना चाहिए. डॉक्टरों का कहना है कि रेमेडिसविर की मांग में गिरावट के पीछे दो कारण हैं - तीसरी लहर में इसका सीमित उपयोग और महामारी वक्र का चपटा होना.
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