Mumbai: समलैंगिक छात्र का आरोप- उसके पहनावे के चलते TISS के कार्यक्रम में जाने से रोका गया
TISS Mumbai: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के छात्र संघ अध्यक्ष ने दावा किया है कि संस्थान परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान 'अनुचित' पोशाक को लेकर उसके साथ भेदभाव किया गया.
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Mumbai News: मुंबई के 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज' (TISS) के छात्र संघ अध्यक्ष ने दावा किया है कि संस्थान परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान 'अनुचित' पोशाक को लेकर उसके साथ भेदभाव किया गया. खुद को समलैंगिक मानने वाले छात्र ने आरोप लगाया कि संस्थान का पहनावे को लेकर यह रवैया सही नहीं है.
हम मामले की जांच करेंगे- प्रोफेसर
वहीं, टीआईएसएस के एक प्रोफेसर ने कहा कि संस्थान अपनी समावेशी प्रकृति के लिए जाना जाता है और यदि इस तरह की कोई घटना हुई है जहां किसी छात्र के साथ भेदभाव किया गया है तो वे इस मामले को देखेंगे.
'मैं ब्लाउज और स्कर्ट में कार्यक्रम में शामिल हुआ था'
यह कथित घटना 25 मार्च को उस वक्त हुई जब, 'आंबेडकर राष्ट्रवाद, और समकालीन सहयोगी सक्रियता की आवश्यकता' पर एक भाषण का आयोजन किया गया था. छात्र संघ के अध्यक्ष प्रतीक पर्मे ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'मुझे छात्रों के संघ के प्रतिनिधि के रूप में 'आंबेडकर मेमोरियल व्याख्यान' में मेहमानों का स्वागत करने और कुछ अन्य औपचारिकताओं को लेकर आमंत्रित किया गया था. मैं शाम को करीब 6 बजे सामान्य पोशाक में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा. यह एक ब्लाउज और एक स्कर्ट थी.'
'प्रोफेसर ने ड्रेस पर जताई आपत्ति'
पर्मे ने दावा किया कि करीब सात बजे एक प्रोफेसर और आयोजन समिति के कुछ सदस्यों ने उससे कहा, 'इस तरह के आयोजन के लिए, आप ऐसा कुछ नहीं पहन सकते हैं.' पर्मे ने कहा कि अगर संस्थान छात्रों के पहनावे पर अंकुश लगाना चाहता है, तो यह ठीक नहीं है. उसने कहा, 'एक आदिवासी होने के अलावा, मैं एक समलैंगिक भी हूं. मैंने यह महसूस किया कि मेरी समलैंगिकता के कारण मुझे संघ का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति नहीं दी गई. छात्र संघ नेता ने कहा, 'मैं वास्तव में अपमानित महसूस कर रहा था. मेरे अधिकार और मेरी स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया. मुझे प्रतिनिधित्व करने की अनुमति नहीं थी.
प्रोफेसर बोले- मामले की होगी जांच
वहीं, टीआईएसएस के एक प्रोफेसर ने कहा, यह देश का एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां लिंग-तटस्थ छात्रावास है. प्रोफेसर ने कहा कि टीआईएसएस को अपनी समावेशी प्रकृति के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा, 'अगर इस तरह की कोई घटना हुई है जहां कोई छात्र अपने साथ भेदभाव महसूस करता है, तो हम इस मामले को देखेंगे.'
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