Mumbai News: महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुंबई (Mumbai) में बुधवार को राजनीतिक तापमान काफी गरम रहा.दशहरा के दिन शिवसेना (ShivSena) के दोनों धड़ों ने अपनी-अपनी रैली की. दोनों धड़ों की रैली में जमकर शब्दबाण चले. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बगावत को गद्दारी बताया, तो शिंदे ने अपनी बगावत को गदर की संज्ञा दी. उद्धव ठाकरे ने जहां करीब 45 मिनट तक भाषण दिया, वहीं एकनाथ शिंदे उनसे दोगुना बोले.इस समय महाराष्ट्र में सरकार चला रहे एकनाथ शिंदे ने इस साल जून में 39 विधायकों के साथ लेकर शिवसेना से बगावत कर दी थी. इससे उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद दोनों धड़ों को अपनी ताकत दिखाने का यह पहला मौका था.


किसने किसके खिलाफ रची साजिश


शिवसेना ने बांबे हाईकोर्ट में लड़ाई लड़कर मुंबई के शिवाजी पार्क में पार्टी की दशहरा रैली करने की इजाजत ली. इससे उसके हौंसले बुलंद थे. वहीं सीएम एकनाथ शिंदे वाले धड़े को बीएमसी ने बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स में रैली की. शिवसेना 1966 में अपनी स्थापना के बाद से ही शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करती आ रही है.


दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे और उनके साथियों पर हमला करते हुए कहा कि विश्वासघाती का कलंक कभी नहीं मिटेगा.उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए जब मैं अस्वस्थ था और मेरी सर्जरी हुई थी, तो मैंने वरिष्ठ मंत्री होने के नाते उन्हें जिम्मेदारी दी थी.लेकिन उन्होंने यह सोचकर मेरे खिलाफ साजिश रची कि मैं फिर कभी पैरों पर खड़ा नहीं हो पाऊंगा.आज का रावण ज्यादा सिर होने की वजह से नहीं बल्कि खोखे (पैसे) की वजह से जाना जाता है.


उद्धव ठाकरे ने किसे बताया कटप्पा


उद्धव ठाकरे ने कहा,''हर साल की तरह इस साल भी रावण जलेगा,लेकिन इस बार का रावण अलग है.वक्त के साथ रावण का चेहरा बदलता था.इस बार कितने चेहरों का है.ये सिरों का नहीं, बल्कि 50 खोके (करोड़) का खोकासुर है,जिन्हें हमने जिम्मेदारी दी वो कटप्पा निकले जिन्होंने साजिश रची,वे कटपप्पा हैं.भारतीय जनता पार्टी ने पीठ में खंजर घोंपा था.उन्हें सबक सिखाने के लिए ही महाविकास आघाड़ी बनाई थी.आप लोग बताएं कि मेरा फैसला सही था या नहीं, क्या मैंने कभी हिंदुत्व का मुद्दा छोड़ा?'


ठाकरे ने कहा,अगर आपको लगता है कि मुझे शिवसेना अध्यक्ष नहीं रहना चाहिए,तो मैं इस्तीफा दे दूंगा,लेकिन सत्ता लोलुप होने की एक सीमा होती है.विश्वासघात करने के बाद, वह अब पार्टी का चुनाव चिह्न भी चाहते हैं और पार्टी अध्यक्ष भी कहलाना चाहते हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे अब शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत को अपनाना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें अपने पिता के नाम पर वोट नहीं मिलेगा.


बीजेपी से सीखने की जरूरत नहीं


ठाकरे ने कहा कि वो अपने माता-पिता की कसम खाकर कहते हैं कि यह तय किया गया था कि बीजेपी और शिवसेना ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करेंगे. उन्होंने कहा कि एमवीए सरकार में कांग्रेस और राकांपा नेताओं के साथ मंत्री पद की शपथ लेने वाले सबसे पहले नेताओं में शिंदे शामिल थे. उन्हें तब कोई दिक्कत नहीं थी.ठाकरे ने यह भी कहा कि उन्हें बीजेपी से हिंदुत्व पर सबक लेने की जरूरत नहीं है.


गद्दारी नहीं गदर किया


वहीं सीएम एकनाथ शिंदे ने बीकेसी के मैदान से गरजते हुए कहा कि हमने गद्दारी नहीं की,बल्कि यह गदर था.हम गद्दार नहीं हैं,बल्कि बाला साहेब के सैनिक हैं. उन्होंने उद्धव ठाकरे पर बाला साहेब के मूल्यों को बेचने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कौन असली गद्दार है जिसने सत्ता के लालच में हिन्दुत्व से गद्दारी की.उन्होंने अपनी बगावत को शिवसेना को बचाने,बाला साहेब के मूल्यों के संरक्षण,हिन्दुत्व और महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए उठाया गया कदम बताया. उद्धव ठाकरे पर हमला करते हुए शिंदे ने कहा, क्या आपको (उद्धव ठाकरे) बाल ठाकरे के मूल्यों से समझौता करने के लिए पद (शिवसेना अध्यक्ष) पर बने रहने का अधिकार है? 


नरेंद्र मोदी के नाम पर मांगे थे वोट


एकनाथ शिंदे ने कहा,''हमने गद्दारी नहीं की, गदर किया. आप हमको बाप चोर बोलते हैं? अरे,आपने अपने बाप के विचारों को बेच दिया? पिछले दो महीनों से हमें गद्दार कह रहे हैं.बाकी कुछ नहीं हैं बोलने के लिए आपके पास.असली गद्दारी 2019 में हुई जब शिवसेना-बीजेपी गठबंधन तोड़ कर आपने सरकार बनाई.चुनाव में एक तरफ बाला साहब की फोटो तो दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी की फोटो लगाई थी.लगाई थी कि नहीं? जनता ने तब चुना.आपने जनता के विश्वास को तोड़ा.''


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