Maharashtra Temple: महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में देवगिरि (दौलताबाद) किला परिसर में स्थित मंदिरों में पूजा करने पर रोक लगाने संबंधी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आदेश की विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) समेत विभिन्न वर्गों ने आलोचना की है. आदेश के अनुसार, एएसआई द्वारा संरक्षित सदियों पुराने किले में स्थित इन मंदिरों में पूजा या कोई अन्य अनुष्ठान करना कानून का उल्लंघन होगा.


ASI ने पूजा करने पर लगाई रोक
गुरूवार को सोशल मीडिया पर सामने आए चार जून के आदेश के अनुसार, किले की तलहटी में स्थित भारत माता मंदिर के पुजारी राजू कंजूणे को अनुष्ठान करने से रोक दिया गया है. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एएसआई के अनुसार, चूंकि किला एक धार्मिक कर्मकांड निषेध स्मारक है, इसलिए इसके परिसर में स्थित किसी भी मंदिर में अनुष्ठान की अनुमति देना प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 का उल्लंघन होगा. दो अन्य हिंदू मंदिर - संकट विनायक गणेश मंदिर और जनार्दन स्वामी मंदिर - किले में स्थित हैं.


ASI के आदेश से विवाद
एएसआई के आदेश से विवाद पैदा हो गया है. महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता शिवसेना (यूबीटी) के अंबादास दानवे और मराठा आरक्षण कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं. संपर्क करने पर एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “देवगिरि किले में धार्मिक कर्मकांड पर पाबंदी है और यहां पूजा करने की अनुमति नहीं है. कोई पुजारी अनुष्ठान नहीं कर सकता, लेकिन पर्यटक किले में स्वतंत्र रूप से आ सकते हैं.”


क्या बोले उद्धव गुट के नेता?
दानवे ने ‘एक्स’ पर लिखा है, भारत माता मंदिर, संकट विनायक गणेश मंदिर और जनार्दन स्वामी मंदिर में वर्षों से पूजा की जा रही है और यह पूजा किले के एएसआई के अधिकार क्षेत्र में आने से बहुत पहले से हो रही है. उन्होंने कहा, “ऐसे में किला धार्मिक कर्मकांड निषेध स्मारक कैसे हुआ?” शिवसेना (यूबीटी) नेता ने यह भी पूछा कि क्या छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुलताबाद में स्थित मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए जाएंगे.’


मराठा आरक्षण कार्यकर्ता पाटिल ने कहा, 'भारत माता मंदिर की स्थापना स्वतंत्रता सेनानियों ने निजाम से क्षेत्र को मुक्त करने के बाद की थी और 1948 से यहां पूजा की जा रही है. कई एएसआई स्थल हैं जहां एक विशिष्ट धर्म के लिए अवकाश घोषित किया जाता है. राज्य सरकार को हस्तक्षेप करके इस मुद्दे को हल करना चाहिए.”


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