Ajit Pawar and BJP: उद्धव ठाकरे गुट का कहना है, एकनाथ शिंदे गुट के विधायक अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. यानी शिंदे गुट हाशिए पर चला गया है. सामना में छपी खबर के अनुसार, राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, सरकार में मंत्रालय के बंटवारे से जुड़ी समस्या को सुलझाना बहुत मुश्किल नहीं था. वह सुलझ भी गई, परंतु अगली समस्या बीजेपी के लिए आगामी लोकसभा और विधान सभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर सीधी टक्कर बीजेपी और अजित पवार गुट के बीच है. राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों के मुताबिक, 'दादा गुट' को लेकर बीजेपी में यह परेशानी है कि जिस सीट पर बीजेपी और 'दादा गुट' की सीधी टक्कर है वहां बीजेपी क्या करेगी?
बीजेपी पदाधिकारियों का सबसे बड़ा संकट क्या है?
'सामना' के अनुसार, महागठबंधन में शामिल हुए अजित पवार गुट के कुछ नेताओं की अपनी-अपनी विधान सभा सीटों पर बीजेपी से सीधी टक्कर रही है. सालों साल तक 'दादा गुट' के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने वाले बीजेपी विधायकों और पदाधिकारियों के सामने अब असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
महाविकास आघाड़ी सरकार बनने के बाद इन सीटों पर बीजेपी पदाधिकारियों ने तीनों दलों के खिलाफ चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी. लेकिन अब उन्हें अजित पवार और एकनाथ शिंदे के साथ काम करना होगा. बीजेपी पदाधिकारियों का सबसे बड़ा संकट यही है.
इस सीट को लेकर बड़ी टक्कर
परली विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी की पंकजा मुंडे और दादा गुट के मंत्री धनंजय मुंडे के बीच सीधी टक्कर थी. इस सीट को लेकर बीजेपी और 'दादा गुट' में बड़ी टक्कर होगी. इसी प्रकार 2019 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने अजित पवार के खिलाफ गोपीचंद पडलकर को उम्मीदवार बनाया था. गोपीचंद पडलकर की जमानत जब्त हो गई थी, लेकिन पडलकर ने अक्सर ही पवार परिवार और अजित पवार की तीखी आलोचना की है. लेकिन मौजूदा स्थिति में पडलकर को भी अब अजित पवार के साथ मिलकर काम करना होगा.
बीजेपी में हो सकता है विद्रोह?
पिछले चुनाव में बीजेपी ने जहां विधानसभा की 160 सीटों पर चुनाव लड़ा था, वहीं इस बार दो पार्टियों से तालमेल बनाते हुए कम सीटों पर समझौता करना होगा. इस वजह से भी बीजेपी नए चेहरों को कम मौका दे पाएगी. इससे कार्यकर्ताओं में बड़े पैमाने पर विद्रोह की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. जाहिर है कि यह वो पहलू है, जो बीजेपी नेताओं की विधानसभा क्षेत्रों में मुश्किलें बढ़ा सकता है. बीजेपी के हिंदुत्व की विचारधारा का क्या होगा?