Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है. इस बीच पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना (यूबीटी) के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान इस डेलिगेशन ने राज्यपाल का ध्यान इस तरफ आकर्षित किया कि मुंबई में एक साल से अधिक समय से प्रतिनिधियों का निर्वाचित निकाय नहीं नहीं है. गौरतलब है कि अभी तक बीएमसी के चुनाव की घोषणा नहीं हुई है.


डेलिगेशन में शामिल थे ये नेता


आदित्य ठाकरे के साथ इस प्रतिनिधिमंडल में शिवसेना यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, अरविंद सावंत,  अनिल परब, सुनील प्रभु, अजय चौधरी, अनिल देसाई और अन्य शामिल थे. इस मुलाकात को लेकर पार्टी की तरफ से एक आधिकारिक चिट्ठी जारी की गई है. 



इस चिट्ठी में बीसीएम प्रशासन पर निशाना साधा गया है और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. इसमें कहा गया है, "बीएमसी प्रशासन का तानाशाहीपूर्ण रवैया और जिस घोर भ्रष्टाचार में वह शामिल है, वह हम मुंबईकरों के लिए चिंता का बात है. पिछले 9 महीनों में, सभी दलों के प्रतिनिधियों और पूर्व प्रतिनिधियों ने फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट, ठेकेदारों का पक्ष लेने और पूरी अराजक प्रशासन के मामले में बीएमसी की अनियमितताओं की तरफ इशारा किया है. इसमें रोड मेगा टेंडर घोटाला, बजरी एकाधिकार घोटाला, स्ट्रीट फर्नीचर घोटाला, सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन घोटाला शामिल हैं."


इन आरोपों के अलावे इस बात पर भी नाराजगी जताई गई कि इनकी किसी ने आवाज नहीं सुनी. राज्यपाल को लिखे खत में आदित्य ठाकरे ने दावा किया, "दुर्भाग्य से, किसी भी आधिकारिक स्तर पर कोई आवाज नहीं सुनी गई. हमारे किसी भी सवाल पर न तो हमें चहल (इकबाल सिंह चहल, बीएमसी कमिश्नर) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया मिली है और न ही किसी मीडियाकर्मी या नागरिक को उनके सवालों का कोई जवाब मिला है." शिवसेना (यूबीटी) ने राज्यपाल से अपील की है कि इस मामले में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो.