Saamana Editorial Today: शिवसेना (UBT) गुट ने अपने मुखपत्र 'सामना' में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीजेपी और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर जमकर निशाना साधा है. 'सामना' के संपादकीय में कहा गया है, 'महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर गृह मंत्री फडणवीस ने सख्त रुख अपनाया है. नासिक समेत राज्यभर में शिक्षा विभाग में लगातार उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामले जांच के लिए ‘ईडी’ को सौंपे जाएंगे, ऐसी घोषणा फडणवीस ने की. यहां-वहां कोई नहीं, सीधे ‘ईडी’ के पास


देवेंद्र फडणवीस पर साधा निशाना
उद्धव गुट ने कहा, 'शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की बेहिसाबी संपत्ति मिलती है तो जप्त की जाएगी, ऐसा जोरदार बयान फडणवीस ने दिया. बीते दो वर्षों में शिक्षा विभाग के कई बड़े अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े गए. परीक्षा बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव स्तर के अधिकारियों को कदाचार के मामलों में गिरफ्तार किया गया और रिहा कर दिया गया.'


लगाए ये गंभीर सवाल
'सामना' में आगे आरोप लगाते हुए कहा गया है, 'फडणवीस ने अब घोषणा की है कि शिक्षा अधिकारियों की ‘ईडी’ से जांच कराएंगे, लेकिन मान लीजिए कि जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और जिनके खिलाफ ऐसी जांच चल ही रही हैं, वे सभी शिक्षा अधिकारी और उनके राजनीतिक बीजेपी की वॉशिंग मशीन में ‘कूद’ जाते हैं, तो इन ईडी जांचों का क्या भविष्य होगा? यह सवाल है ही. खैर, गृह मंत्री को भ्रष्टाचार साफ करना है और उन्हें यह करना ही चाहिए, लेकिन क्या महाराष्ट्र राज्य का पुलिस बल और जांच एजेंसियां इसके लिए सक्षम नहीं हैं?'


'सामना' के संपादकीय के अनुसार, 'बीते दो वर्षों में शिक्षा विभाग के 12 अधिकारी गिरफ्तार किए गए. यह इस क्षेत्र में वित्तीय लेन-देन की बड़ी गुंजाइश को दर्शाता है, इसका खामियाजा शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली को भुगतना पड़ रहा है. इसका खुलासा हो ही चुका है. विश्वविद्यालयों और शिक्षा बोर्डों में घोटालों को राजनीतिक आशीर्वाद मिलता है, तो सब कुछ बिगड़ जाता है. ऐसे अधिकारियों की सहूलियत वाली जगहों पर तबादले या पदोन्नति के लिए विधायक और मंत्री विशेष रुचि लेकर काम करते नजर आते हैं.'


विधायकों पर भी साधा निशाना
उद्धव गुट ने आरोप लगाया कि, कैबिनेट में सात मंत्री और 31 विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ ईडी और सीबीआई की कार्रवाई चल रही है. मुश्रीफ और अन्य मंत्री अस्थायी जमानत पर छूटे हैं. अब्दुल सत्तार, दादा भुसे के मामलों पर गंभीर आरोप हैं और उनके मामले ‘ईडी’, ‘सीबीआई’ को भेजे जाने चाहिए, इतने गंभीर हैं. भावना गवली, यशवंत जाधव, राहुल शेवाले जैसे कई विधायकों, सांसदों के खिलाफ ‘ईडी’ की जांच जारी थी लेकिन उसे रोककर उन्हें सरकार में शामिल करके अभय दे दिया गया. अब मुख्याध्यापकों, शिक्षा अधिकारियों आदि को ‘ईडी’ का खौफ दिखाया जा रहा है. इससे भ्रष्टाचार का कचरा साफ होगा, ऐसा नजर नहीं आ रहा है.'


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