क्या महाराष्ट्र में टूट जाएगी MVA, उद्धव ठाकरे ने अलग होने के दे दिए संकेत, क्यों उठा ये सवाल?
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली चुनाव में शिवसेना-यूबीटी ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने का बात कही है जिससे महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के बीच खटपट शुरू हो गई है.
Maharashtra News: शिवसेना-यूबीटी सांसद अनिल देसाई (Anil Desai) ने दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी का समर्थन करने की बात क्या कहीं, दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक की राजनीति गरमा गई है. सवाल उठ रहे हैं कि अगर उद्धव ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी का हिस्सा है तो वह दिल्ली में कांग्रेस का साथ देने के बजाय आम आदमी पार्टी का समर्थन देने की बात क्यों कर रही है. इससे शिवसेना-यूबीटी और कांग्रेस के संबंधों पर सवाल उठने लगे हैं.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो शिवसेना-यूबीटी और कांग्रेस में आए दिन अनबन की खबर आती है. शायद इसलिए महानगरपालिका के चुनाव में उद्धव सेना अपनी अलग जमीन तैयार करने की कोशिश कर रही है. सालों से मुंबई की महानगरपालिका पर शिवसेना की सत्ता रही है लेकिन अब जब फिर बीएमसी के चुनाव होने वाले हैं और इस बार शिवसेना दो टुकड़ों में बटी है.
क्या कांग्रेस से अलग होगी शिवसेन-यूबीटी?
ऐसे में विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखते हुए उद्धव ठाकरे की शिवसेना को लगता है कि अगर वह महाविकास आघाड़ी के साथ चुनाव लड़ती है तो उसको नुकसान हो सकता है. कांग्रेस के साथ रहने से भी उसका नुकसान होगा इसलिए वह अपनी अलग जमीन तैयार कर रही है और कांग्रेस से अलग होने के संकेत उसने दिल्ली से दिया है. दिल्ली में आज केजरीवाल ने भी शिवसेना-यूबीटी के समर्थन का स्वागत किया तो मुंबई में संजय राउत समेत आदित्य ठाकरे ने भी केजरीवाल के काम की तारीफ की.
पृथ्वीराज चव्हाण के बयान बढ़ी मुश्किलें
बढ़ रही तल्खियों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चौहान का बयान कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ही जीतेगी, ने आग में घी डालने का काम किया है. आदित्य ठाकरे ने भी कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान के बयान का समर्थन किया है और कहा कि उन्होंने बिल्कुल सही कहा दिल्ली में आम आदमी पार्टी मजबूत है.
BMC चुनाव के लिए शिवसेना-यूबीटी छोड़ देगी MVA का साथ
फिलहाल जानकारों की माने तो शिवसेना-यूबीटी के लिए इस वक्त सबसे बड़ा चैलेंज महानगरपालिका चुनाव है और वह पूरी तरह से इसकी तैयारी में जुटी हुई है. देश की सबसे अमीर महानगरपालिका पर उसकी सालों से सत्ता रही है और वह उसे छोड़ना नहीं चाहती है. भले ही इसके लिए उसे महाविकास आघाड़ी या कांग्रेस का साथ ही छोड़ना पड़े.
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