Maharashtra News: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. इसी कड़ी में बुधवार (24 मई) को मुंबई में उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम सब देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए एक साथ आए हैं. मुझे लगता है कि हमें 'विपक्षी' दल नहीं कहा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें (केंद्र को) 'विपक्षी' कहा जाना चाहिए क्योंकि वे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ हैं.


'...तो फिर मोदी सरकार 2024 में सत्ता में नहीं आएगी'
इस मौके पर आप नेता नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आप राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और राघव चड्ढा  और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी भी केजरीवाल के साथ थे. दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि अध्यादेश पर समर्थन के लिए वे एनसीपी चीफ शरद पवार से भी मुलाकात करेंगे. उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद केजरीवाल ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने हमसे वादा किया है कि वे संसद में हमारा समर्थन करेंगे और अगर यह विधेयक संसद में पारित नहीं हुआ तो 2024 में मोदी सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आएगी.


क्या कहता है केंद्र का अध्यादेश
19 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने वाला अध्यादेश जारी किया था. इस अध्यादेश के तहत किसी भी अधिकारी के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा अंतिम फैसला लेने का हक दिल्ली के उपराज्यपाल को वापस दे दिया गया है,  अध्यादेश के तहत दिल्ली में सेवा दे रहे 'दानिक्स' कैडर के ग्रुप A के अधिकारियों के ट्रांसफर और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए  राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित किया गया है. इस प्राधिकरण में तीन सदस्य होंगे. प्राधिकरण का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाया गया है. इस प्राधिकरण को दानिक्स और ग्रुप A के अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति के सभी फैसले लेना का अधिकार तो होगा लेकिन आखिरी फैसला उपराज्यपाल का ही मान्य होगा. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कानून व्यवस्था, भूमिक और सार्वजनिक आदेश को छोड़कर सभी फैसले लेने का हक दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास होगा.


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