Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में सियासी सस्पेंस बरकरार? अब उद्धव ठाकरे ने विधानसभा अध्यक्ष से कर दी बड़ी मांग
Maharashtra News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि उद्धव ठाकरे की सरकार को बहाल न करने का फैसला सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष को उचित अवधि में 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने को भी कहा था.
Maharashtra News: महाराष्ट्र के पिछले साल के राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा महत्वपूर्ण फैसला दिए जाने के एक दिन बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से 16 विधायकों की अयोग्यता पर जल्द से जल्द फैसला लेने की मांग की.
एक साल पहले शिवसेना के एकनाथ शिंदे की बगावत की वजह से उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गयी थी. शिंदे ने बाद में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार बनाई और उन्होंने मुख्यमंत्री पद तथा बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. ठाकरे की पार्टी के नेता अनिल परब ने कहा कि वे अध्यक्ष नार्वेकर को पत्र लिखकर उनसे इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला लेने का अनुरोध करेंगे.
अध्यक्ष को जल्द से जल्द इस पर फैसला लेना चाहिए- ठाकरे
ठाकरे ने कहा, ‘‘16 विधायकों को मिला जीवनदान अस्थायी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ‘समय’ दिया है और इसकी सीमाएं हैं. अध्यक्ष को जल्द से जल्द इस पर फैसला लेना चाहिए.’’ सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने पिछले साल जून में शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था. उसने अध्यक्ष को ‘‘उचित अवधि’’ के भीतर 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करने को कहा.
'मौजूदा सरकार गैरकानूनी है'
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए ठाकरे ने कहा कि इसका मतलब है कि राज्यपाल के उन्हें शक्ति परीक्षण के लिए बुलाने जैसे कदम गैरकानूनी थे. उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि मौजूदा सरकार गैरकानूनी है. मैं अपने फैसले से संतुष्ट हूं क्योंकि मैंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया था.’’
'बागी विधायकों के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा'
उन्होंने शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी की सरकार को राज्य की जनता की ‘‘आखिरी अदालत’’ में चुनाव का सामना करने की चुनौती दी. परब ने कहा, ‘‘हम कहते रहे हैं कि यह सरकार गैरकानूनी है. महत्वपूर्ण भूमिका व्हिप की होती है. उस समय व्हिप सुनील प्रभु (ठाकरे खेमे के विधायक) थे और इसका उल्लंघन किया गया था. अध्यक्ष को इस पर निर्णय करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं लेना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘बागी विधायकों के लिए अब कोई रास्ता नहीं बचा है और उनके पास बहुत कम वक्त है.’’
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने पिछले साल जून में शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था. न्यायालय ने महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भी खिंचाई की और कहा कि उनके पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए ऐसी कोई सामग्री नहीं थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे ने सदन का विश्वास खो दिया था.