Mumbai : एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना बताने का फैसला आने के बाद उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि भारतीय निर्वाचन आयोग को भंग कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने यहां दादर स्थित शिवसेना भवन में संवाददाताओं से कहा कि हमारी पार्टी का नाम (शिवसेना) और चुनाव चिह्न (धनुष और तीर) चोरी हो गया है, लेकिन 'ठाकरे' नाम चोरी नहीं हो सकता.'


सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया झटका


ठाकरे के प्रेस को संबोधित करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उनके गुट द्वारा किए गए इस मौलिक उल्लेख पर विचार करने से इनकार कर दिया कि निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. ठाकरे ने कहा कि निर्वाचन आयोग का आदेश गलत है. सुप्रीम कोर्ट उम्मीद की आखिरी किरण है.'उन्होंने कहा कि ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है, जब पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न सीधे एक गुट को दे दिया गया हो. ठाकरे ने कहा कि इतनी जल्दबाजी में फैसला देने की क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा कि भले ही दूसरे गुट ने हमारा नाम और चिह्न ले लिया हो, लेकिन वे हमारा ठाकरे का नाम नहीं ले सकते. मैं भाग्यशाली हूं कि बालासाहेब ठाकरे के परिवार में पैदा हुआ.


2024 के बाद देश में लोकतंत्र या चुनाव नहीं होगा


भाजपा पर लोकतांत्रिक संस्थाओं की मदद से लोकतंत्र को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए ठाकरे ने कहा कि बीजेपी  ने आज हमारे साथ जो किया, वह किसी के साथ भी कर सकती है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2024 के बाद देश में लोकतंत्र या चुनाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी, शरद पवार, नीतीश कुमार और कई अन्य नेताओं ने उन्हें फोन किया और उनके प्रति समर्थन व्यक्त किया.ठाकरे ने कहा कि उन्होंने हिंदुत्व को कभी नहीं छोड़ा, हालांकि, उन पर ऐसा करने का आरोप तब लगा, जब उन्होंने 2019 में भाजपा के साथ अपने दशकों पुराने गठबंधन को समाप्त कर दिया. ठाकरे ने कहा कि अंधेरी विधानसभा उपचुनाव के दौरान उनकी पार्टी के उम्मीदवार ने निर्वाचन आयोग की ओर से दिए गए नाम का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा कि दूसरे धड़े में उस उपचुनाव को लड़ने की हिम्मत भी नहीं थी.


निर्वाचन आयोग के अधिकार को दी चुनौती


उनके खेमे द्वारा शिवसेना के आधिकारिक बैंक खातों से धन हस्तांतरित किए जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर ठाकरे ने कहा कि निर्वाचन आयोग को यह बोलने का कोई अधिकार नहीं है कि पार्टी के धन का क्या होता है और आयोग सुल्तान की तरह कार्य नहीं कर सकता. इसकी भूमिका केवल निष्पक्ष चुनाव कराने और किसी राजनीतिक दल के भीतर आंतरिक लोकतंत्र सुनिश्चित करने तक सीमित है. उन्होंने कहा कि अगर निर्वाचन आयोग पार्टी के कोष वितरण में दखल देता है तो उस पर आपराधिक मामला चलेगा.


शिवसेना भवन में की करीबियों से मुलाकात


शिंदे खेमे की शिवसेना की विभिन्न संपत्तियों को अपने कब्जे में लिए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं उन्हें मेरे पिता (दिवंगत बालासाहेब ठाकरे) के नाम और उनकी तस्वीर का इस्तेमाल बंद करने की चुनौती देता हूं. वे अपने पिता की तस्वीर लगाएं और फिर वोट मांगें.' ठाकरे ने कहा कि आयोग पहले ही उनके खेमे को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नाम से अलग नाम दे चुका है और उसे प्रतीक के तौर पर मशाल भी दे चुका है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि निर्वाचन आयोग ने हमारे अलग अस्तित्व को पहले ही मान्यता दे दी थी. ठाकरे ने सोमवार को शिवसेना भवन में अपने करीबियों से मुलाकात की. इस दौरान पार्टी नेता संजय राउत, सुभाष देसाई, अनिल देसाई और अनिल परब मौजूद थे.ठाकरे ने अपने खेमे के कई जिलास्तरीय नेताओं को भी भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया.


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