Maharashtra Assembly Election: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल बढ़ गई है. महाविकास अघाड़ी में शामिल पार्टियों के नेताओं ने शनिवार (15 जून) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगामी विधानसभा चुनाव समेत कई मसलों पर बात की. एमवीए नेताओं ने इस दौरान दावा किया है कि महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव वो मिलकर लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे.
शिव सेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम उन सभी लोगों के साथ आगे बढ़ेंगे जो हमारे साथ रहे और हमारे साथ संघर्ष किया. अगर कुछ और लोग हमारे साथ आना चाहते हैं तो हम इस पर विचार करेंगे.''
उद्धव ठाकरे का बीजेपी पर हमला
पीटीआई के मुताबिक उद्धव ठाकरे ने कहा, ''राज्य के लोगों ने दिखा दिया है कि बीजेपी की अजेयता का मिथक कितना खोखला है. महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में महा विकास आघाडी (एमवीए) की जीत शुरुआत है, अंत नहीं. उन्होंने विश्वास जताया कि विपक्षी गठबंधन राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव जीतेगा. एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) शामिल हैं. ठाकरे दक्षिण मुंबई में एमवीए के घटक दलों के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जिसमें एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भी अपनी बात रखी.
शरद पवार और चव्हाण ने क्या कहा?
महाविकास अघाड़ी में शामिल तीनों दलों ने इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए एक प्रारंभिक बैठक भी की. कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र में सरकार बदलना तय है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए पवार ने कहा, ‘‘हम एमवीए के वास्ते राजनीतिक माहौल को अनुकूल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हैं.’’
लोकसभा चुनाव में किसे कितनी सीटें?
महाराष्ट्र लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 13 सीट जीतीं, जो 2019 में राज्य में जीती गई एकमात्र सीट से काफी बड़ी छलांग है, जबकि शिवसेना (यूबीटी) को 9 और एनसीपी (एसपी) को 8 सीट मिलीं. लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे में उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली पार्टी को MVA के तीनों घटक दलों में सबसे ज्यादा सीट दी गई थीं. कुल 48 लोकसभा सीट में से शिवसेना (यूबीटी) ने 21 सीट पर चुनाव लड़ा, उसके बाद कांग्रेस ने 17 और NCP (SP) ने 10 सीट पर चुनाव लड़ा.
उधर, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति सिर्फ 17 सीट ही हासिल कर सकी, जबकि बीजेपी की सीट की संख्या 23 (जिसे उसने 2019 में जीता था) से घटकर 9 रह गई. एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने 7 सीट जीतीं, जबकि अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली.
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