Bombay HC On Narayan Rane Bunglow: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार को बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को जुहू में एक आठ मंजिला बंगले के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया, जो केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता नारायण राणे (Narayan Rane) के स्वामित्व में है. अदालत ने राणे को अगली सुनवाई 23 अगस्त तक इस जगह पर आगे कोई निर्माण कार्य नहीं करने का भी निर्देश दिया. न्यायमूर्ति रमेश डी धानुका और न्यायमूर्ति कमल आर खाता की पीठ ने राणे के स्वामित्व वाली कालका रियल एस्टेट कंपनी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें बंगले में कथित अनधिकृत संरचनाओं को नियमित करने के लिए बीएमसी को निर्देश देने की मांग की गई थी.


पिछले आदेश में अदालत ने कही थी ये बात


आवेदन विकास नियंत्रण और संवर्धन विनियम (DCPR)-2034 के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार दायर किया गया था. हालांकि कंपनी को उच्च न्यायालय के 23 जून के आदेश के अनुसार सूचित किया गया था कि, निगम को नियमितीकरण के आवेदन पर विचार करने के लिए अदालत से एक निर्देश की आवश्यकता है. पिछले महीने, अदालत ने कालका रियल एस्टेट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें जुहू बंगले को नियमित करने से निगम के इनकार को चुनौती दी गई था. लेकिन अदालत ने बंगले के लिए किसी भी तरह की "जबरन कार्रवाई" से छह सप्ताह के लिए सुरक्षा प्रदान की थी, इससे उनकी कंपनी को सर्वोच्च न्यायालय में आदेश को चुनौती देने का मौका मिल गया था.


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बीएमसी में राणे की कंपनी को मार्च में दिया था नोटिस


निगम ने मार्च में कालका रियल एस्टेट को एक नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर परिसर में कथित अनधिकृत निर्माण को हटाने का निर्देश दिया, ऐसा नहीं करने पर वह उन हिस्सों को ध्वस्त कर देगा और मालिकों या कब्जाधारियों से इसका शुल्क वसूल करेगा. नोटिस को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने निगम को निर्देश दिया था कि जब तक वह नियमितीकरण आवेदन पर फैसला नहीं कर लेता, तब तक वह कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेगा.


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