नागपुर/मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि हाल में महाराष्ट्र के किसी भी गांव ने कर्नाटक में विलय की मांग नहीं की है. उन्होंने कहा कि किसी सीमावर्ती गांव के कहीं जाने का सवाल ही नहीं उठता. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को दावा किया था कि महाराष्ट्र के सांगली जिले के जाट तालुका में कुछ ग्राम पंचायतों ने पूर्व में एक प्रस्ताव पारित कर कर्नाटक में विलय की मांग की थी, उनका कहना था कि ये प्रस्ताव तब पारित किए गए जब ये गांव गंभीर जल संकट का सामना कर रहे थे. बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने पानी मुहैया कराकर उनकी मदद करने की एक योजनाएं बनाई है. उनकी सरकार जाट गांवों के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है.
क्या कहा है देवेंद्र फडणवीस ने
फडणवीस ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा,''इन गांवों ने 2012 में पानी की कमी के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पेश किया था. वर्तमान में किसी भी गांव ने कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया है.'' फडणवीस ने कहा कि जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तो उनकी सरकार ने पानी के मुद्दे को सुलझाने के लिए कर्नाटक के साथ एक समझौता किया. बीजेपी नेता ने कहा कि जब गिरीश महाजन उनके मंत्रिमंडल में जल संसाधन मंत्री थे, तब जाट गांवों के लिए जलापूर्ति योजना बनाई गई थी.
फडणवीस ने कहा, ''हम अब उस योजना को मंजूरी देने जा रहे हैं. शायद कोविड के कारण पिछली (उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली) सरकार इसे मंजूरी नहीं दे सकी.'' उन्होंने कहा, ''वर्तमान में, किसी भी गांव ने ऐसी मांग (कर्नाटक के साथ विलय की) नहीं उठाई है. मांग 2012 की है.'' फडणवीस ने कहा, ''महाराष्ट्र का एक भी गांव कहीं नहीं जाएगा.''
किसने बताया जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार
बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने लंबित विवाद के लिए जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने बिना ब्योरा दिए कहा, ''महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच विवाद वास्तव में दिवंगत प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की देन है.'' उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मामला अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है. ग्राम पंचायतों की ओर से पारित किसी भी प्रस्ताव का अदालत के फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मुनगंटीवार ने कहा, ''अगर प्रस्तावों को इतनी गंभीरता से लिया जाएगा, तो कर्नाटक के उन गांवों का क्या, जिन्होंने महाराष्ट्र में शामिल होने के लिए प्रस्ताव पारित किए हैं.'' इससे पहले महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के दावों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए.
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगावी (पहले बेलगाम) पर दशकों पुराना सीमा विवाद दोनों पक्षों के हालिया बयानों के कारण फिर से चर्चा में है. बोम्मई ने सोमवार को कहा था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सीमा विवाद के मुद्दे को लेकर वरिष्ठ वकीलों की एक मजबूत कानूनी टीम बनाई है. मंगलवार को, महाराष्ट्र सरकार ने लंबित अदालती मामले के संबंध में राज्य की कानूनी टीम के साथ समन्वय करने के लिए चंद्रकांत पाटील और शंभूराज देसाई को नोडल मंत्री बनाया.
नोडल मंत्री ने क्या कहा है
देसाई ने कहा, ''मेरी जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार जाट तहसील के सूखाग्रस्त क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति के प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे चुकी है. परियोजना की लागत करीब 12 सौ करोड़ रुपये है. परियोजना की तकनीकी जांच की जा रही है.’’
भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह विवाद 1960 के दशक का है. महाराष्ट्र भाषाई आधार पर बेलगावी पर दावा करता है जो स्वतंत्रता के समय ‘बॉम्बे प्रेसीडेंसी’ का हिस्सा था. महाराष्ट्र उन 80 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं.
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