Rights Of  Zero FIR: एफआईआर (FIR) यानि प्रथम सूचना रिपोर्ट के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी जीरो एफआईआर (Zero FIR) के बारे में सुना है, दरअसल जीरो एफआईआर वो होती है जिसे आप अपराध होने पर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज करवा सकते हैं. हालांकि अक्सर देखा जाता है कि पुलिस इस एफआईआर को दर्ज करने में आनाकानी करती है. ऐसा क्यों होता है आज हम आपको इसी की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं....


कहां दर्ज हो सकती है जीरो एफआईआर ?
अक्सर देखा जाता है कि जब भी कोई घटना घटती है तो आम आदमी पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने जाता है, लेकिन आम आदमी को अमूमन कानून के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती. इसलिए उन्हें जब एक पुलिस स्टेशन से दूसरे पुलिस स्टेशन के चक्कर काटने पड़ते हैं तो वो परेशान हो जाते हैं. इसी के बारे में जानकारी देते हुए रिटायर्ड एसपी सुखलाल वर्पे ने बताया कि, सीआरपीसी के सेक्शन 154 में साफ कहा गया है कि, कोई भी पुलिस स्टेशन एफआईआर दर्ज कर सकता है फिर चाहे वो उसका ज्यूरिडिक्शन हो या ना हो. उनका कहना है कि अगर केस उस पुलिस स्टेशन से संबंधित नहीं है तो भी वहां आम आदमी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकता है.


जीरो एफआईआर में नहीं लिखा जाता क्राइम
उन्होंने आगे बताया कि, इस मामले में इंस्पेक्टर या सीनियर इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी एक फॉरवर्डिंग लेटर लिखेगा और एक सिपाही उस लेटर को उस पुलिस स्टेशन में ले जाएगा जहां का वो केस होगा. इसके बाद केस में आगे की जांच शुरू की जाएगी. वहीं यूपी एसटीएफ से जुड़े रहे रिटायर्ड उपाधीक्षक पी के मित्रा बताते हैं कि, जीरो एफआईआर में कोई भी क्राइम नहीं लिखा होता. इसलिए ही इसे जीरो एफआईआर कहा जाता है. उन्होंने ये भी बताया कि, पुलिस इस एफआईआर को लिखने में इसलिए आनाकानी करती है कि क्योंकि कई बार देखने में आता है कि, दो लोगों के बीच मारपीट ही हुई, लेकिन दूसरे आदमी उसे फंसाने के लिए एफआईआर में उसपर कई अन्य आरोप भी लगा देता है. इसलिए ही जहां का ये केस नहीं है वो पुलिस स्टेशन इस तरह की एफआईआर दर्ज करने से बचता है.


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महिला से जुड़े अपराध में करनी होगी जांच
वहीं एक और रिटायर्ड एसपी वेंकेट पाटील में इसको लेकर काफी महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि, जीरो एफआईआर दर्ज करने वाले पुलिस स्टेशन को उस मामले में जांच करने का अधिकार नहीं दिया जाता है, लेकिन अगर अपराध किसी महिला के साथ हुआ है तो आईपीसी के सेक्शन 498 के तहत अगर कोई महिला अपने ससुराल वालों के खिलाफ प्रताड़ना से जुड़ी एफआईआर दर्ज करवाएगी और चाहेगी कि वो पुलिस स्टेशन इसकी जांच करें, तो पुलिस को इसकी जांच करनी होगी.


FIR और जीरो एफआईआर में फर्क
बहुत कम लोग जानते हैं कि जीरो एफआईआर भी एफआईआर की तरह ही होती हैं. इन दोनों बस इतना ही फर्क होता है कि एफआईआर आप अपराध क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में ही दर्ज करवा सकते हैं और जीरोएफआई आप कहीं भी दर्ज करवा सकते हैं और पुलिस को भी इस एफआईआर में शिकायत के आधार पर केस दर्ज करना होता है. जब पुलिस केस को दर्ज कर लेती है तो इसे संबंधित पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया जाता है.  


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