Maharashtra Congress MLA News: एक मजिस्ट्रेट अदालत ने कांग्रेस विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सुनील केदार और पांच अन्य को नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एनडीसीसीबी) में धन के दुरुपयोग के लिए पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे वी पेखले-पुरकर ने 2002 के इस मामले में फैसला सुनाया है. छह लोगों पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. आरोपियों में केदार के अलावा एनडीसीसीबी के महाप्रबंधक और निदेशक और एक निवेश फर्म होम ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के एक निदेशक शामिल हैं. इस केस में तीन लोगों को बरी कर दिया गया है.
कौन हैं कांग्रेस विधायक सुनील केदार?
58 साल के विधायक सुनील केदार ने साल 2019 में महाराष्ट्र के सावनेर से चुनाव लड़ा और उन्होंने जीत हासिल की. आजकल वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा, वह पांच बार सावनेर निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य के रूप में चुने गए. सुनील छत्रपाल केदार सावनेर से कांग्रेस विधायक हैं. उनका जन्म नागपुर में हुआ था और वर्तमान में वे सावनेर, नागपुर में रहते हैं. अगर उनकी शिक्षा की बात करें तो वह स्नातकोत्तर हैं और व्यवसायी, कृषक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं.
कांग्रेस विधायक दोषी करार
अन्य प्रावधानों के अलावा, केदार को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) के तहत दोषी ठहराया गया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, एनडीसीसीबी को 2002 में सरकारी प्रतिभूतियों में 125 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ क्योंकि होम ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से धन निवेश करते समय नियमों का उल्लंघन किया गया था. तब केदार बैंक के अध्यक्ष थे.
कोर्ट ने अपने फैसले में कही ये बात
अपने फैसले में, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पेखले-पुरकर ने कहा कि केदार और एक अन्य आरोपी को बैंक की पूरी हिस्सेदारी सौंपी गई थी, उन्होंने कहा कि विचाराधीन फंड बैंक के लोगों और सदस्यों की मेहनत की कमाई थी, जिनमें से अधिकांश लोग यहां के गरीब किसान हैं. अदालत ने बताया कि सहकारी क्षेत्र का उद्देश्य और उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्गों की स्थिति को बढ़ाना है. अदालत ने कहा कि केदार, जो उस समय अध्यक्ष थे, और तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चौधरी को कानून द्वारा निर्धारित तरीके से धन निवेश करने का काम सौंपा गया था, लेकिन उन्होंने विश्वास का उल्लंघन किया.
आदेश में क्या क्या कहा गया है?
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, विश्वास का ऐसा आपराधिक उल्लंघन एक गंभीर अपराध है. अदालत ने कहा कि इतनी बड़ी रकम का नुकसान बैंक की वित्तीय स्थिति को नीचे लाने के लिए पर्याप्त है, जिसका असर इकाई के हजारों सदस्यों और कर्मचारियों पर पड़ेगा. अदालत के आदेश में कहा गया है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक जिम्मेदारियां दी जाती हैं कि किसी सदस्य का एक भी रुपया किसी भी तरह से बर्बाद न हो. अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी व्यक्तियों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जा सकती. मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और 120बी और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 248 के तहत सजा पाने वालों में केदार, महाप्रबंधक अशोक चौधरी, केतन सेठ, अमित वर्मा, सुबोध भंडारी और नंदकिशोर त्रिवेदी शामिल हैं.
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