Jaideep Apte: सिंधुदुर्ग (महाराष्ट्र) के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की एक भव्य प्रतिमा का अनावरण आठ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था, जो अब ढह गई है. इस घटना ने महाराष्ट्र में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है. यह प्रतिमा भारतीय नौसेना द्वारा बनवाई गई थी और इसे स्थापित करने की जिम्मेदारी ठाणे के 25 वर्षीय युवा जयदीप आप्टे को सौंपी गई थी.
ABP माझा के अनुसार, जयदीप का मूर्तिकला का अनुभव महज डेढ़ से दो फीट की मूर्तियों तक सीमित था, जिसे उन्होंने स्वयं एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था. अब सवाल उठ रहा है कि इतने कम अनुभव वाले युवा कलाकार को इतनी विशाल प्रतिमा का निर्माण कार्य क्यों सौंपा गया?
जयदीप आप्टे पर केस दर्ज
इस घटना के बाद पुलिस ने जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस ने जयदीप आप्टे और चेतन पाटिल को आरोपी बनाया गया है. चेतन पाटिल ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है, उनका कहना है कि उन्होंने शिवाजी महाराज की प्रतिमा का पूरा संरचनात्मक ऑडिट नहीं किया था, बल्कि केवल प्रतिमा के लिए बनाए गए मंच का डिजाइन उन्होंने तैयार किया था.
उन्होंने यह भी बताया कि प्रतिमा का निर्माण ठाणे की एक कंपनी द्वारा किया गया था. अब लोग यह जानना चाहते हैं कि इस प्रतिमा के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाले जयदीप आप्टे कौन हैं.
जयदीप आप्टे कल्याण के एक 25 वर्षीय युवा हैं, जिन्होंने राजकोट किले में 28 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का निर्माण किया था. इस प्रतिमा के निर्माण में लगभग 3 साल लगे, हालांकि जयदीप ने एक इंटरव्यू में बताया कि इसका निर्माण जून 2023 में शुरू होकर दिसंबर 2023 तक यानी केवल सात महीने में पूरा हुआ था.
जयदीप ने अपने इंटरव्यू में स्वीकार किया कि उन्हें इस बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने में संदेह था कि वे इतनी बड़ी प्रतिमा को सफलतापूर्वक खड़ा कर पाएंगे या नहीं. उन्होंने कहा था कि जब उन्हें पहली बार इस काम के बारे में पता चला, तो उनके मन में यह विचार आया कि यह एक बड़ा अवसर है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन अगर जरा भी चूक हुई तो सब खत्म हो जाएगा. इससे पहले उन्होंने केवल 3-4 छोटी मूर्तियां बनाई थीं, जो अधिकतम ढाई फुट की थीं.
जयदीप आप्टे ने यह भी बताया कि एक सप्ताह के भीतर उन्होंने शिवाजी महाराज की प्रतिमा के तीन छोटे-छोटे नमूने (मॉडल) तैयार किए थे. उनमें से दो मॉडल नौसेना अधिकारियों के निर्देशानुसार बनाए गए थे, जबकि तीसरा मॉडल एक सहज डिजाइन पर आधारित था. अंततः उसी डिजाइन को चुना गया था.