महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार नहीं होने से शिवसेना के भीतर ही सियासी गतिरोध बढ़ता जा रहा है. अजित पवार की नाराजगी की खबरों के बीच एकनाथ शिंदे गुट के कद्दावर नेता भरत गोगावले ने एक बड़ा खुलासा किया है. 


गोगोवले रायगढ़ में अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के 3 लोग ब्लैकमेल कर मंत्री बने हैं. गोगावले ने सरकार गठन के वक्त बंद कमरे में हुई बातचीत के बारे में भी कार्यकर्ताओं को बताया है. 


हालांकि, ब्लैकमेल कर सरकार में मंत्री बने लोगों के नाम के सवाल पर गोगावले ने चुप्पी साध ली है. महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के 9 विधायक मंत्री हैं. गोगावले के बयान के बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर वो 3 मंत्री कौन हैं, जिसे ब्लैकमेल से कुर्सी मिली?


बात पहले बंद कमरे की, जिसका गोगावले ने खुलासा किया है
गोगावले के मुताबिक महाराष्ट्र में सरकार गिरने के बाद मंत्रियों के नाम को लेकर एकनाथ शिंदे ने सभी विधायकों की मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग के बाद जो लिस्ट तैयार हुई, उसमें मेरा भी नाम था. हालांकि, बाद में मेरा नाम कट गया. 


उन्होंने आगे कहा- शिंदे ने सार्वजनिक मीटिंग के बाद एक-एक कर विधायकों से मुलाकात का तरीका अपनाया. जब मेरी बारी आई तो मुख्यमंत्री ने मुझे तीन किस्सा सुना दिया और मंत्री पद बाद में देने का आश्वासन दे दिया. गोगावले के मुताबिक 3 किस्सा इस प्रकार है.


1. शिवसेना के एक विधायक ने कहा कि अगर मुझे मंत्री नहीं बनाया गया तो मेरा पूरा परिवार सुसाइड कर लेगा. हमारे पास जीने का कोई कारण ही नहीं बचेगा. गोगावले के मुताबिक विधायक का बयान सुनकर शिंदे की टेंशन बढ़ गई.


2. शिवसेना के एक विधायक ने कहा कि अगर मुझे मंत्री नहीं बनाया गया, तो गृह जिले में नारायण राणे और उनके बेटे मेरी राजनीति को समाप्त कर देंगे. नारायण राणे के बेटे सिंधुदुर्ग जिले के कांकेवली सीट से विधायक हैं.


3. गोगोवाले ने कहा कि बंद कमरे में शिवसेना के एक वरिष्ठ विधायक ने शिंदे से कहा- अगर आप मुझे मंत्री नहीं बनाएंगे, तो मैं समर्थन वापस लेकर उद्धव के पास चला जाऊंगा. आपकी सरकार भी गिरा दूंगा.


शिवसेना के 9 लोगों को अगस्त 2022 में शिंदे ने मंत्री बनाया था
सरकार गठन के बाद अगस्त 2022 में शिवसेना कोटे से 9 विधायक मंत्री बनाए गए थे, जिनमें शंभुराज देसाई, अब्दुल सत्तार, संदीपन भूमरे, गुलाबराव पाटील, दादाजी भुसे, उदय सामंत, तानाजी सावंत, संजय राठौड़ और दीपक केसरकर का नाम शामिल हैं. 


बीजेपी कोटे से भी 9 नेताओं को मंत्री बनाया गया था. बीजेपी ने अपने कोटे से राधाकृष्ण विखे पाटिल, गिरिश महाजन, सुधीर मुंगटीवार, चंद्रकांत पाटील, सुरेश खादे, रविंद्र चव्हाण, अतुल सावे और मंगल लोढ़ा को कैबिनेट में शामिल किया. 


बड़ा सवाल- ब्लैकमेल कर मंत्री बनने वाले 3 नेता कौन हैं?
महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में एक ही चर्चा हो रही है. आखिर शिवसेना के वो 3 मंत्री कौन हैं, जिसको लेकर भरत गोगावले ने खुलासा किया है. गोगावले के बयान को शिंदे सरकार के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने मजाकिया बताकर खारिज करने की कोशिश भी की है.


जानकारों का कहना है कि गोगावले शिंदे गुट के मुख्य सचेतक हैं. ऐसे में उनके बयान पर चर्चा लाजिमी है.


गोगावले के बयान को उन मंत्रियों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, जो उद्धव कैबिनेट में तो शामिल नहीं थे, लेकिन शिंदे कैबिनेट में मंत्री बने. ये 3 मंत्री तानाजी सावंत, संजय राठौड़ और दीपक केसरकर हैं. हालांकि, शिवसेना के नेता आधिकारिक तौर पर इसको लेकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.


इन तीनों के अलावा शंभुराज देसाई, अब्दुल सत्तार, संदीपन भूमरे, गुलाबराव पाटील, दादाजी भुसे, उदय सामंत भी मंत्री बने, लेकिन ये सभी उद्धव सरकार में भी मंत्री थे. जानकारों का कहना है कि जो मंत्री उद्धव का साथ छोड़कर आए थे, उन्हें तो शिंदे कैबिनेट में जगह मिलना पहले से ही तय होगा. 


ऐसे में गोगावले का इशारा उन तीन मंत्रियों को लेकर हो सकता है, जो उद्धव सरकार में मंत्री नहीं थे, लेकिन शिंदे कैबिनेट में जगह पा गए.


वहीं गोगावले ने अपने बयान में यह भी कहा है कि नारायण राणे का डर दिखाकर एक विधायक मंत्री बन गए.


जानकारों का कहना है कि शिवसेना से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले राणे का सियासी प्रभाव कोकण इलाके में है और उनका बेटा सिंधुदुर्ग कांकावली से विधायक हैं. 


सिंधुदुर्ग जिले में विधानसभा की 3 सीटें (कांकावली, कुदल और सावंतवाड) हैं. सांवतवाड से शिंदे गुट के दीपक केसरकर और कुदल से उद्वव गुट के वैभव नाइक विधायक हैं.


अब कहानी भरत गोगावले की...
भरत गोगावले ने पंचायत चुनाव लड़कर राजनीतिक करियर की शुरुआत की. पिंपलवाड़ी से वे निर्विरोध सरपंच चुने गए. उस वक्त राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. 1992 में पंचायत समिति पद पर चुनाव लड़ने के लिए गोगावले ने कांग्रेस से भी टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला.


गोगावले निर्दलीय लड़ गए. इसके बाद वे शिवसेना में शामिल हो गए. इसके बाद उन्होंने जिला परिषद का चुनाव लड़ा. दो बार रायगढ़ जिला परिषद के लिए चुने भी गए. उस वक्त शिवसेना महाराष्ट्र की राजनीति में तेजी से उभर रही थी. 


2009 में शिवसेना ने पहली बार रायगढ़ के महाड सीट से गोगावले को विधानसभा के चुनाव में उतारा. गोगावले सीट जीतने में कामयाब रहे. उन्होंने महाड सीट से 2014 और 2019 में भी जीत हासिल की. 


2019 में उद्धव सरकार में उनके मंत्री बनने की अटकलें लग रही थी, लेकिन एनसीपी ने वीटो लगा दिया, जिसके बाद से ही उनका उद्धव ठाकरे से रिश्ता खराब हो गया. शिंदे के साथ बगावत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई. गुवाहाटी में उन्हें शिवसेना का सचेतक घोषित किया गया था.


हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे अमान्य करार दे दिया. गोगावले की नाराजगी के पीछे आदिति तटकरे के मंत्री बनने को वजह बताया जा रहा है. हाल ही में एनसीपी के आदिति को शिंदे सरकार में मंत्री बनाया गया है.


आदिति भी रायगढ़ से ही विधायक हैं और उद्धव सरकार में मंत्री रहने के दौरान गोगावले से उनका छत्तीस का आंकड़ा था.