महाराष्ट्र की महायुति सरकार में विभागों का बंटवारा हो चुका है. कई वरिष्ठ मंत्रियों को अपेक्षित विभाग नहीं मिल पाए. इसके कारण मंत्रियों में अपने-अपने जिलों में संरक्षक मंत्री बनने की होड़ लगी है. इस पर एनसीपी (एसपी) नेता और पूर्व सांसद माजिद मेमन ने कहा कि महायुति का हर मंत्री चाहता है कि वह संरक्षक मंत्री बने.


माजिद मेमन ने आईएएनएस से कहा, "पहले हर मंत्री अपने-अपने पोर्टफोलियो के लिए भाग-दौड़ कर रहा था, ताकि उन्हें यह या वह पोर्टफोलियो मिल जाए. तीन लोगों के बीच त्रिकोणीय लड़ाई चल रही थी, जिसे किसी तरह दबा दिया गया है. इसे पूरी तरह से मैनेज नहीं किया गया. अब संरक्षक मंत्रालय की बात हो रही है और जाहिर है कि हर मंत्री चाहता है कि उसकी महत्ता हो और वह संरक्षक मंत्री बने. 


महाराष्ट्र की जनता ने गलत फैसला किया?


सपा नेता ने कहा कि इस समय सरकार में तीन पार्टियां हैं, और अगले छह महीनों में यह देखना होगा कि यह सरकार कितने अच्छे से समन्वय के साथ काम करती है, या फिर आपसी झगड़ों में उलझ जाती है. अगर यह आपसी झगड़ों में उलझती है, तो इसका मतलब यह होगा कि महाराष्ट्र की जनता ने गलत फैसला किया है. राज्य की जनता के जो अहम मुद्दे हैं, वे पीछे रह गए हैं, और ये पार्टियां आपसी लड़ाई में व्यस्त हैं."


नैतिक और वैचारिक अंतर सरकार चलाने के लिए अहम पहलु


पूर्व सांसद ने कहा कि गठबंधन सरकारें हमेशा राज्य स्तर पर आपसी नैतिक और वैचारिक अंतर लेकर चलती हैं. जैसे शिवसेना की प्राथमिकता हिंदुत्व हो सकती है, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की वैचारिक प्राथमिकताएं अलग हो सकती हैं. तो, यह कोई नई बात नहीं है कि स्थानीय चुनावों में पार्टियां साथ बदलती हैं. पिछले 25-30 साल में, राज्य और स्थानीय चुनावों में गठबंधन के घटक बदलने की घटनाएं सामने आई हैं.


ईवीएम के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "जहां तक ईवीएम का सवाल है, 'इंडिया' ब्लॉक का स्टैंड वहीं कायम रहेगा, भले ही सुप्रिया सुले या अन्य कोई पार्टी अलग बात करे. 'इंडिया' ब्लॉक पूरी ताकत के साथ इस मुद्दे पर एकजुट होकर लड़ेगा."


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