Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में क्यों फेल हो रही है बीजेपी? चुनाव हारने का कारण कहीं ये तो नहीं!
Maharashtra BJP Politics: पिछले कुछ महीनों में हुए कुछ चुनावों में बीजेपी को वह सफलता नहीं मिली है जो वह चाहती थी. इसके कई कारण हैं, जिन पर इस समय बहस हो रही है. आप भी जानिए.
Kasba By-Election Result 2023: कसबा पेठ और चिंचवाड़ उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. इसमें कसबा उपचुनाव का नतीजा महाविकास अघाड़ी के पक्ष में रहा है, जबकि चिंचवाड़ का नतीजा बीजेपी के खाते में गया है. पिछले कुछ महीनों में हुए कुछ चुनावों में बीजेपी को वह सफलता नहीं मिली, जो वह चाहती थी. इसके कई कारण हैं, जिन पर इस समय बहस हो रही है. बीजेपी क्यों फेल हो रही है? आइए जानें इसके पीछे के कुछ जरूरी कदम.
क्या पार्टी की ओर से अनुचित योजना के कारण विफलता हुई है?
कसबा पेठ विधानसभा उपचुनाव का नतीजा बिल्कुल भी चौंकाने वाला नहीं है. इस चुनाव में क्या होगा इसकी भविष्यवाणी पहले ही कर दी गई थी. कोई भी स्पष्ट बोलने को तैयार नहीं था कि केवल बीजेपी ही क्यों सफल नहीं होगी, लेकिन यह आज स्पष्ट हो गया है. इसी तरह राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि पिछले कुछ महीनों में हुए चुनावों में बीजेपी की नाकामी का कारण पार्टी की गलत प्लानिंग है.
फैसले बावनकुला नहीं लेते, इसमें दखल था?
बीजेपी के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर बावनकुले के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने के बाद बीजेपी को कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा है. बावनकुले के क्षेत्रीय अध्यक्ष बनने के बाद स्थानीय स्वशासन चुनाव, शिक्षक स्नातक विधान परिषद, अंधेरी विधानसभा उपचुनाव, पुणे उपचुनाव हुए. उसमें हमें जो सफलता मिलनी चाहिए वह हमें दिखाई नहीं पड़ती. हालांकि बावनकुले प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन हर फैसला बावनकुले नहीं ले सकते, इसमें कोई न कोई दखलंदाजी करता है. इसलिए राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि फ्री होल्ड का फैसला नहीं लिया जा सकता.
बावनकुले की विफलता?
प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पिछले कुछ चुनाव बावनकुले के नेतृत्व में हुए थे और बीजेपी नागपुर की सीट बरकरार नहीं रख पाई थी जो उसका गढ़ है. 5 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली है और बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. राजनीतिक विश्लेषकों की ओर से कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर बावनकुले की स्थानीय स्वशासन के चुनावों में नागपुर सीट जीतने में नाकामी उन्हीं की वजह से है. राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि बावनकुले का प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद प्रदेश के कई नेताओं पर कोई पकड़ नहीं है.
क्या इस चुनाव में प्लानिंग फेल हो गई?
हाल ही में हुए कसबा और चिंचवाड़ उपचुनाव में बीजेपी ने प्रचार के लिए केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों, राज्य के कैबिनेट मंत्रियों जैसे शीर्ष नेताओं को मैदान में उतारा था. सारी ऊर्जा दांव पर लग गई लेकिन एक जगह जो कई वर्षों से हाथ में थी वह खो गई. कसबा की गरिमामयी सीट पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया. क्या कसबा और चिंचवाड़ में प्लानिंग फेल हो गई है? ऐसा सवाल उठाया जा रहा है. चंद्रशेखर बावनकुले, गिरीश महाजन, रवींद्र चव्हाण और चंद्रकांत पाटिल को कसबा और चिंचवाड़ में तैनात किया गया था. बहरहाल, बीजेपी को करारा झटका लगने के बाद अब इस हार का ठीकरा प्रदेश अध्यक्ष बावनकुले समेत अन्य नेताओं पर फोड़ा जा रहा है.
कार्यकर्ताओं का विश्लेषण और आलोचना
इन चुनावों के नतीजों के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता अपने-अपने तरीके से नेताओं का विश्लेषण करते नजर आ रहे हैं और नेताओं की आलोचना कर रहे हैं. इससे बीजेपी में अंदरूनी गुटबाजी भी देखी जा सकती है. पिंपरी चिंचवाड़ और कसबा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद सोशल मीडिया पर पुणे के पालक मंत्री चंद्रकांत पाटिल और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यकर्ताओं पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर चर्चा है कि पालक मंत्री चंद्रकांत पाटिल के कारण पुणे की सीट हार गई.
क्या इसलिए कि बीजेपी लोगों को हल्के में लेती है?
बताया जा रहा है कि बीजेपी पिछले कुछ महीनों से राज्य में चुनाव नतीजों में वोटरों को हल्के में लेने में नाकामी का सामना कर रही है. राज्य में बीजेपी नेताओं को लगा कि देश में बीजेपी की लहर है, तो इससे राज्य को भी फायदा होगा. लेकिन पिछले कुछ महीनों से राज्य में हो रही घटनाओं और राजनीति को देखते हुए बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है. इसलिए विपक्ष कह रहा है कि लोग बीजेपी को नकार रहे हैं. इनमें बढ़ती महंगाई, किसानों और आम लोगों को पेश आ रही दिक्कतें, दूसरे राज्यों में जाने वाले उद्योग और रोजगार शामिल हैं. इसलिए विपक्षी पार्टी के नेताओं का कहना है कि लोग बीजेपी से नाराज हैं.
बीजेपी के खिलाफ महाविकास अघाड़ी मजबूत
महाविकास अघाड़ी पार्टी में शामिल तीनों दल राज्य में हर जगह बीजेपी को मात देने के लिए कमर कस चुके हैं. इसका एक अच्छा उदाहरण शिक्षकों और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव के साथ-साथ चिंचवाड़ और कसबा उपचुनावों में भी देखने को मिला. महा विकास अघाड़ी की तीनों पार्टियां बीजेपी को हराने और राज्य में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए आपस में समन्वय बनाकर लड़ रही हैं. लेकिन अगर चिंचवाड़ में राहुल कलाटे उम्मीदवार नहीं होते तो बीजेपी उस सीट को भी गंवा देती.