Maharashtra: HC में पत्नी की याचिका खारिज, बच्चे को दिया पिता के साथ छुट्टियों बिताने का आदेश, जानें पूरा मामला
Mumbai: बेटा होने के बाद दोनों पति- पत्नी एक दूसरे से अलग रह रहे थे. पत्नी नहीं चाहती थी कि उसके बेटे की कस्टडी उसके पिता को मिले.
Maharashtra News: यह देखते हुए कि पिता और उसके सात साल के बेटे के बीच विश्वास की कोई कमी नहीं है, बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने शख्स की अलग रह रही पत्नी को 13 दिन के लिए अपने बच्चे की कस्टडी उसके पिता को सौंपने का निर्देश दिया ताकि वे एक साथ गर्मी की छुट्टियां बिता सकें.
पत्नी ने याचिका दायर कर की थी ये मांग
दरअसल शख्स की पत्नी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर फैमिली कोर्ट द्वारा 20 अप्रैल को दिए गए आदेश को संशोधित या रद्द करने को कहा था, जिसमें पति को 17-30 मई तक बच्चे के साथ रहने की अनुमति दी गई थी. जस्टिस मिलिंद जाधव ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकार रखते हुए सोमवार को अपना फैसला सुनाया.
संतान होने के बाद से अलग-अलग रह रहे हैं पति-पत्नी
बता दें कि दोनों की शादी 2012 में हुई थी और उन्हें 2015 में एक बेटा पैदा हुआ. दोनों पति-पत्नि 2016 से एक-दूसरे से अलग रह रहे थे. पत्नी ने पति से तलाक की याचिका दायर कर रखी है. पिता ने कहा कि जब लड़का चार साल का था तो उसने उसे और उसके दादा के साथ 7 दिनों के लिए दुबई की यात्रा करने की अनुमति दी. मार्च 2020 तक वह उनसे लगभग रोज मिलता था क्योंकि पत्नी अपने क्लिनिक में व्यस्त थी, लेकिन अब वह फैमिली कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है.
जस्टिस जाधव ने नोटिस की पिता-पुत्र की बॉन्डिंग
18 मई को जस्टिस जाधव ने लड़के के साथ चैंबर में 30 मिनट तक बातचीत की और देखा कि उसकी अपने पिता के साथ बॉन्डिंग बहुत मजबूत थी और वह पिता की बातों पर ध्यान दे रहा था और उन्हें जवाब दे रहा था. दोनों के बीच विश्वास की कोई कमी नहीं थी. दोनों एक आम पिता-पुत्र की तरह व्यवहार कर रहे थे. जस्टिश जाधव ने कहा कि इसके बाद मुझे बिल्कुल नहीं लगा कि बच्चे को उसके पिता की कस्टडी नहीं मिलनी चाहिए.
अपनी कटुता को भुलाकर बच्चे पर ध्यान दें पति-पत्नी
जस्टिश जाधव ने कहा कि शख्स की पत्नी हाल ही में बच्चे को अपने साथ नैनीताल घुमाने ले गई थी.उन्होंने कहा कि भले ही पति-पत्नी एक दूसरे से दूर रह रहे हों, लेकिन उनकी कुछ समान जिम्मेदारियां हैं. उन्हें अभी भी बच्चे के पालन-पोषण और विकास के लिए प्राथमिक जिम्मेदारी निभानी है. उन्होंने कहा कि बच्चे को प्यार, समझ और दोनों के साथ की जरूरत है. उन्हें अपनी कड़वाहट को छोड़कर बच्चे के विकास पर ध्यान देना चाहिए. फैमिली कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए, जस्टिस जाधव ने पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया और 24 मई से 5 जून तक बच्चे को पिता के साथ छुट्टियों पर जाने का आदेश दिया. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि बच्चे को भारत से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं है और बच्चे की अपनी मां से दिन में दो बार बात करानी होगी. एक बार सुबह या दोपहर में और एक बार रात को सोने से पहले या फिर बच्चे की इच्छानुसार. यदि आदेश का उल्लंघन किया गया तो पत्नी कोर्ट जा सकती है.
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