Maharashtra: 'महाराष्ट्र के पक्ष में जो होगा उसका समर्थन करेंगे', सीमा विवाद पर पास हुए प्रस्ताव पर बोले उद्धव ठाकरे
Karnataka Border Dispute: महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर विवाद को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में एक प्रस्ताव पास हुआ है. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि, 865 गांवों की जमीन महाराष्ट्र में लाएंगे.
Maharashtra-Karnataka Border Dispute: महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर मंगलवार (27 दिसंबर) महाराष्ट्र विधानसभा में पास हुए प्रस्ताव पर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा कि हमने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, महाराष्ट्र के पक्ष में जो भी होगा, हम उसका समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि लेकिन हमारे कुछ सवाल हैं. दो साल से अधिक समय से सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग महाराष्ट्र में शामिल होने की मांग कर रहे हैं, हम उनके बारे में क्या कर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि आज सरकार ने जवाब दिया कि विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित नहीं किया जा सकता जैसा कि 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था. हालांकि, स्थिति अब वैसी नहीं है. कर्नाटक सरकार इसका पालन नहीं कर रही है. वे वहां विधानसभा सत्र कर रहे हैं, जिसका नाम बेलगावी रखा गया है, इसलिए हमें सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट से विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करे के लिए कहना चाहिए.
सीमा विवाद पर विधानसभा में प्रस्ताव पास
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा ने कर्नाटक के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच पड़ोसी राज्य में स्थित 865 मराठी भाषी गांवों का अपने प्रदेश में विलय करने पर ‘‘कानूनी रूप से आगे बढ़ने’’ के लिए एक प्रस्ताव मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक राज्य विधायिका ने सीमा विवाद को जानबूझकर भड़काने के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया था.
महाराष्ट्र में मिलाएंगे 865 गांवों की जमीन
महाराष्ट्र विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार 865 गांवों और बेलगाम (जिसे बेलगावी भी कहा जाता है), कारवार, निपाणी, बीदर और भाल्की शहरों में रह रहे मराठी भाषी लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है. राज्य सरकार कर्नाटक में 865 मराठी भाषी गांवों और बेलगाम, कारवार, बीदर, निपाणी, भाल्की शहरों की एक-एक इंच जमीन अपने में शामिल करने के मामले पर उच्चतम न्यायालय में कानूनी रूप से आगे बढ़ेगी.’’
महाराष्ट्र के प्रस्ताव में कहा गया है कि जब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी तो यह तय हुआ था कि मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक यह सुनिश्चित किया जाए कि इस मामले को और न भड़काया जाए. हालांकि, कर्नाटक सरकार ने अपनी विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर इससे विपरीत कदम उठाया.
भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद 1957 से ही दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद है.
एक इंच जमीन नहीं देंगे- कर्नाटक
कर्नाटक विधानसभा ने महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद पर बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव में राज्य के हितों की रक्षा करने और अपने पड़ोसी राज्य को एक इंच जमीन भी न देने का संकल्प व्यक्त किया गया था. सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में महाराष्ट्र द्वारा “खड़े किए गए” सीमा विवाद की आलोचना की गई.
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में मांग की कि इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक 865 गांवों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए. हालांकि, प्रस्ताव में यह मांग शामिल नहीं की गयी. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और यह सुनिश्चित करना होगा कि इस मांग को आगे रखते हुए न्यायालय की अवमानना न हो.
क्या है दोनों राज्यों के बीच विवाद
महाराष्ट्र पूर्ववर्ती बंबई प्रेसीडेंसी का भाग रहे बेलगावी पर दावा करता है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में मराठी भाषी लोग रहते हैं. वह कर्नाटक के 800 से ज्यादा मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है. लेकिन कर्नाटक का कहना है कि सीमांकन, राज्य पुनर्गठन कानून और 1967 की महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भाषाई आधार पर किया गया था, जो अंतिम है.
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