मेरठ: मेरठ के हस्तिनापुर के रहने वाले एक शख्स को बंदरों को लेकर दीवानगी है. ये शख्स रोज़ाना पिछले बारह साल से लगातार बंदरों को भोजन कराने पहुंचता है. इलाके के लोग इन्हें बंदरों का दोस्त कहते हैं.


मेरठ के हस्तिनापुर के रहने वाले संजय को अऩोखा जुनून है. संजय चौकीदारी का काम करते हैं लेकिन हस्तिनापुर में घूमने वाले बंदरों के लिए वो किसी मसीहा से कम नहीं. हो भी क्यों न क्योंकि संजय रोज़ाना तय समय पर अपने दोस्त बंदरों को भोजन कराने के लिए पहुंचते हैं. बंदरों को भी मालूम है कि उनके दोस्त संजय कितने बजे पहुंचेंगे.


संजय के पहुंचने के पहले बंदर पहुंच जाते हैं. बंदर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठ जाते हैं. और फिर संजय एक एक करके सभी बंदरों को रोटी खिलाते हैं. बंदर बिना कोई हरकत किए चुपचाप बैठकर इत्मिनान से भोजन करते हैं.


हस्तिनापुर में उल्टाखेड़ा के पास सुबह दोपहर शाम ये मंजर देखने को मिल जाता है. संजय का कहना है कि वो चौकीदारी करते हैं. उन्हें जैन मंदिर के पुजारी की तरफ से भी बंदरों को भोजन कराने के लिए मदद मिलती है. इसलिए पिछले बारह साल से कोई दिन ऐसा नहीं बीता जब वो बंदरों को भोजन कराने क लिए तय समय पर न पहुंचते हों.


जानवरों के प्रति इस लगाव को देखकर यहां के स्थानीय निवासी और पर्यटक आश्चर्यचकित हो जाते हैं कि पूरे अनुशासन के साथ पिछले बारह साल से कोई ऐसी सेवा कर सकता है. हस्तिनापुर के लोग संजय को बंदरों का दीवाना कहते हैं लेकिन संजय को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता वो रोज़ाना उसी जोश के साथ अपना कार्य करते हैं और फिर बंदरों की सेवा करते हैं.


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