मेरठ. मेरठ में फीस न जमा करने को लेकर स्कूलों ने अभिभावकों पर दबाव बनाने की हद कर दी. मेरठ के एक प्राइवेट स्कूल ने तो इम्तिहान से दो मिनट पहले फीस न जमा करने पर बच्चों को सोशल मीडिया पर बने ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया.


एक तरफ बच्चे ग्रुप में सवाल आने का इंतजाक कर रहे थे ताकि वो परीक्षा दे सकें, तो दूसरी तरफ मात्र टेस्ट से दो मिनट पहले स्कूल ने उन्हें ग्रुप से आउट कर दिया. बच्चों ने जब ये बात परिजनों को बताई और स्कूल फोन किया तो जवाब मिला कि जब तक फीस नहीं जमा करोगे तब तक बच्चा ग्रुप में एड नहीं होगा, उसका नाम काट दिया गया है.


अभिभावकों में नाराजगी
आनन फानन में बच्चे अपने अभिभावकों के साथ स्कूल पहुंचे. किसी ने उधार मांगकर तो किसी ने जैसे-तैसे इंतज़ाम कर बच्चों की फीस स्कूल में जमा की तब जाकर स्टूडेन्ट्स का नाम ग्रुप में एड किया गया. स्कूलों के इस तानाशाही रवैये को लेकर अभिभावकों में ख़ासा रोष है. अभिभावकों का कहना है कि इससे बच्चों को कितना मानसिक आघात पहुंचता है, क्या ये स्कूल ने कभी सोचा है?



स्कूल प्रबंधन का बयान
वहीं, स्कूल का कहना है कि कई बार इन अभिभावकों को फीस जमा करने को लेकर रिमाइंडर दिया गया, रिकवेस्ट की गई लेकिन पैरेन्ट्स किसी सूरत में फीस देने आ ही नहीं रहे थे. स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अभिभावकों को रिक्वेस्ट लेटर भेज रहे थे न कि कोई दबाव बनाया जा रहा था. स्कूल की कोआर्डिनेटर का कहना है कि कई अभिभावक तो ऐसे हैं जिन्होंने अप्रैल से कोई फीस जमा नहीं की थी.


उनका कहना है कि पैरेंट्स को कोई कम्पलशन नहीं था. अगर पैरेंट्स सिर्फ एक महीने की ही फीस जमा कर देते तो उन्हें मालूम हो जाता कि बच्चा इनरोल्ड है कि नहीं. प्रबंधन का कहना है कि स्कूल को कम से कम मालूम तो होना चाहिए कि बच्चा कॉन्टीन्यू करेगा या नहीं.


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