मुंबई: फर्जी TRP मामले में छठी गिरफ्तारी, आरोपी दर्शकों को न्यूज चैनल देखने के लिए देता था रिश्वत
आरोपी उमेश मिश्रा उन लोगों को कथित तौर पर न्यूज चैनल देखने के लिए रिश्वत देता था जिनके घर पर दर्शक आंकड़ा एकत्र करने के लिए मीटर लगे हुए हैं.
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार को ‘टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट’ (टीआरपी) घोटाले में छठी गिरफ्तारी की है. अधिकारियों ने बताया कि अंधेरी के निवासी उमेश मिश्रा को क्राइम ब्रांच की टीम ने विरार इलाके से पकड़ा. उमेश मिश्रा उन लोगों को कथित तौर पर न्यूज चैनल देखने के लिए रिश्वत देता था जिनके घर पर दर्शक आंकड़ा एकत्र करने के लिए मीटर लगे हुए हैं.
पहले गिरफ्तार किए गए 5 आरोपी कौन हैं इससे पहले गिरफ्तार किए गए पांच आरोपियों के नाम है- विशाल भंडारी, बोमपेली राव मिस्त्री , शिरीष सतीश पट्टनशेट्टी, नारायण शर्मा और विनय त्रिपाठी. विनय को उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर से गिरफ्तार किया था. विनय, हंसा रिसर्च का पूर्व एम्प्लॉयी है जो रिलेशनशिप मैनेजर के तौर पर काम करता था.
हंसा रिसर्च के अधिकारियों से बात करने पर पता चला था कि विनय त्रिपाठी ही विशाल भंडारी को घरो में कुछ तयशुदा चैनल चलाने के लिए पैसा दे रहा था. विशाल भंडारी के मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने रिमांड कॉपी में हंसा रिसर्च कंपनी की शिकायत के जरिए बताया था कि विनय त्रिपाठी विशाल भंडारी को लोगों के घरों में 'इंडिया टुडे' देखने के लिए पैसा दिया करता था.
कथित टीआरपी घोटाले का खुलासा तब हुआ जब ‘ब्रॉडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (बार्क) ने हंसा रिसर्च ग्रुप के जरिये पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि विज्ञापन के लालच में कुछ चैनल टीआरपी की संख्या में धोखाधड़ी कर रहे हैं.
संसदीय समिति ने TRP सिस्टम पर उठाए सवाल एक संसदीय समिति का कहना कहा कि टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) मापने का मौजूदा सिस्टम 'बहुत वैज्ञानिक नहीं' है और इसमें जोड़-तोड़ किए जाने का खतरा है. समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की. समिति की बैठक 'मीडिया कवरेज में नैतिकता के मानदंड' विषय पर न्यूज ब्रॉडकॉस्टर्स एसोसिएशन (एनबीए), पीसीआई और प्रसार भारती के प्रतिनिधियों के विचार सुनने के लिए हुई थी.
कुछ खास सवालों के जवाब में अधिकारियों ने समिति के सदस्यों से कहा कि टीआरपी का पता लगाने की मौजूदा सिस्टम ‘‘बहुत वैज्ञानिक और सटीक नहीं है.’’ अधिकारियों ने सुझाव दिया कि मौजूदा सिस्टम अभी के दौर में पुराना पड़ चुकी है और इसमें जोड़-तोड़ या फर्जीवाड़ा किए जाने का खतरा है. साथ ही, यह दर्शकों की संख्या के बारे में वास्तविक तस्वीर भी नहीं पेश करता है क्योंकि आंकड़े एकत्र करने के स्थान बहुत कम हैं.
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