बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार बिहार के औद्योगिक पिछड़ेपन का कारण समुद्र का नहीं होना बता चुके हैं. पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान भी नीतीश कुमार ने बिहार के पिछड़ेपन के लिए समुद्र की कमी को ज़िम्मेदार बताया था. इस बयान को आरजेडी और अन्य विपक्षी दलों ने बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनाया था.
शनिवार को सम्पन्न हुए नीति आयोग के अधिशासी परिषद यानि गवर्निंग काउंसिल की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के सामने एक असाधारण मांग रखी. नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार चारों तरफ़ से ज़मीन से घिरा है और समुद्र से वंचित है. इससे बिहार में उद्योगों के विकास पर बुरा असर पड़ता है क्योंकि इससे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
नीतीश कुमार ने की बंदरगाह की मांग
नीतीश कुमार ने कहा कि अगर बिहार को ओडिसा में एक अलग बंदरगाह की सुविधा उपलब्ध करवा दी जाए तो वहां बनी चीजों को बाहर भेजने में काफ़ी सहूलियत हो जाएगी. नीतीश कुमार ने कहा कि वो वर्ष 2011 से लगातार इस मांग को दोहराते आए हैं. उन्होंने बैठक की अध्यक्षता कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले को देखने की गुजारिश की.
झारखंड और छत्तीसगढ़ का मिला समर्थन
वैसे नीतीश कुमार की इस मांग का कुछ और ऐसे राज्यों ने समर्थन किया जो चारों तरफ़ से ज़मीन से घिरे हैं. जिनमें झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शामिल हैं. योजना आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि अपने-अपने राज्य में उद्योग को बढ़ावा देने और निर्यात को बढ़ाने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों ने कई सुझाव दिए. नीतीश कुमार की मांग भी इसी सिलसिले में की गई.
अपने भाषण में नीतीश कुमार ने पूरे देश में एक समान बिजली दर की भी वक़ालत की. उन्होंने कहा कि एक समान बिजली दर होने से किसानों को भी फ़ायदा होगा.
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