पटना: बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने दावा किया है कि यूपी में पुलिस एनकाउंटर में भाग निकलने वाले गैंगस्टर विकास दुबे उनके कड़े रुख की वजह से बिहार नहीं आ पाया. उन्होंने कहा कि डर के मारे उसकी बिहार आने की हिम्मत नहीं हुई. अब स्पीडी ट्रायल करवा कर उसे सजा दिलाई जानी चाहिए.
डीजीपी ने कहा, ''बहुत खुशी की बात है एमपी पुलिस को मैं सलाम करता हूं, उत्तर प्रदेश के पुलिस को मैं सलाम करता हूं, उनके जज्बे को भी सलाम करता हूं, मुझे पक्का विश्वास था कि यूपी पुलिस उसे खोज लेगी और मध्यप्रदेश की पुलिस ने बहुत ही सराहनीय काम किया है. अब यही चाहूंगा कि इस मामले का स्पीडी ट्रायल हो तीन से चार माह के अंदर...केस अंतिम मुकाम तक पहुंचे और ये संदेश पूरे देश में जाये कि पुलिस के साथ जो इस तरह की हरकत करने की कोशिश करेगा चाहे वो जिस किसी मुकाम पर हो पुलिस उसे अंतिम मुकाम तक पहुंचा कर ही छोड़ेगी.''
डीजीपी ने कहा, ''ये मध्यप्रदेश पुलिस की बड़ी कामयाबी है, मध्यप्रदेश की पुलिस को सलाम. बिहार को लेकर मैंने अपना रुख पहले ही साफ कर दिया था इसलिए बिहार घुसने कि उसकी हिम्मत नहीं हुई. उसे मध्यप्रदेश में थोड़ा सुरक्षित महसूस हुआ तो वो वहां गया और दर्शन करने के पहले ही पकड़ लिया गया. यूपी पुलिस को सलाम जिस तरह से प्रोफेशनली वो एक-एक चीज को हैंडल कर रही है और जिस तरह से यूपी पुलिस काम कर रही है इसका पूरे देश में एक जबरदस्त मैसेज जाएगा. इसके कई लोग मुठभेड़ में मारे भी गए हैं और बहुत सारे लोगों के नंबर सर्विलांस पर हैं.''
गुप्तेश्वर पांडेय ने आगे कहा, ''मैं यही चाहूंगा इस तरह के जितने भी गैंगस्टर हैं सभी पर इसी तरह की कार्रवाई हो ताकि अपराध समाप्त हो. यह एक विकास दुबे की बात नहीं है ऐसे कई विकास दुबे हैं पूरे देश में. अपराध की संस्कृति के खिलाफ काम करना है और इसका सीधा मतलब ये है कि जात, मजहब, दल के नाम पर हम लोगों को किसी भी अपराधी का संरक्षण नहीं करना चाहिए. ये शर्म की बात है कि कुछ जाति विशेष के लोग ऐसे अपराधी को हीरो बना देते हैं.''
डीजीपी ने कहा कि जनता जिस दिन समझ जाएगी कि अपराधी किसी का नहीं होता वो सिर्फ अपराध करता है और बचाव के लिए जाति की छतरी अपने ऊपर तान लेता है और जब जाति का समर्थन मिल जाता है तो शासन से सौदेबाजी करने की स्थिति में वह आ जाता है. इससे पुलिस का मनोबल गिरता है और जगह-जगह अपराधियों का साम्राज्य होने लगता है. जाति और मजहब और दल के नाम पर अगर आम लोग अपराधियों का समर्थन बंद कर दे तो अपराध की संस्कृति पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी. अपराधी की ताकत उसका हथियार नहीं है उसकी ताकत उसका जन समर्थन है जो जाति के नाम पर उसको मिल जाता है अगर वो नहीं मिलेगा तो बड़े से बड़े अपराधी को एक थानेदार हैंडल कर लेगा.
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