लखनऊ. कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासी घमासान शुरू हो गया है. भाजपा इस बिल को किसानों के लिए हितकारी बताते नहीं थक रही है. वहीं, विपक्षी दल इस बिल को लेकर सरकार पर हमलावर हैं. भारतीय किसान यूनियन ने तो इस बिल के खिलाफ 25 सितंबर को आंदोलन की घोषणा भी कर दी है.


अखिलेश यादव ने साधा निशाना


सपा मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा सरकार खेती को अमीरों के हाथों गिरवी रखने के लिए शोषणकारी विधेयक लाई है. उन्होंने कहा कि ये खेतों की मेड़ तोड़ने का षड्यंत्र है और साथ ही एमएसपी सुनिश्चित करनेवाली मंडियों के धीरे-धीरे खात्मे का भी. भविष्य में किसानों की उपज का उचित दाम भी छिन जाएगा और वो अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर बन जाएंगे.


बसपा सहमत नहीं


वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया कि संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, कल पास कर दिये गये हैं. उससे बीएसपी कतई भी सहमत नहीं है. पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा. वहीं, कांग्रेस भी इस बिल के खिलाफ आंदोलन की तैयारी में है.


बड़े आंदोलन की तैयारी में भकियू


इन विधेयकों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन ने 25 सितंबर को लखनऊ में बड़े आंदोलन की तैयारी की है. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरनाम सिंह ने कहा कि अगर सरकार के हिसाब से इस विधेयक में इतने ही फायदे हैं तो इसे लाने से पहले किसानों साथ बैठकर उनको समझकर संतुष्ट क्यों नहीं किया गया? हरनाम सिंह ने कहा कि किसान इस काले कानून का विरोध करेंगे. 25 सितंबर को लखनऊ में कमिश्नर कार्यालय का घेराव करेंगे. जरूरत पड़ी तो पशुओं के साथ सांसदों और विधायकों के आवास का भी घेराव किया जाएगा.


विपक्षियों के विरोध के जवाब में भाजपा का कहना है कि ये किसानों को भ्रमित करने की कोशिश है. इसमे किसान खेत से ही सब्जी बेच सकते हैं. तीन दिन के अंदर फसल का भुगतान मिलेगा.


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