नई दिल्ली: हर साल आने वाली भयावह बाढ़ से बिहार को जान माल का बहुत नुकसान होता है. सालों से इसे रोकने के लिए किए गए उपाय नाकाफी साबित हुए है. बाढ़ के लिए हमेशा से नेपाल से बिहार आने वाली नदियों को ज़िम्मेदार ठहराया जाता रहा है.  इस साल भी बिहार में बाढ़ का प्रकोप जारी है. इस मुद्दे पर आज जल संसाधन मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक हुई.


बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अलावा बिहार, असम और केरल के अधिकारियों को भी बुलाया गया था. बिहार की बाढ़ के बारे में जब अधिकारियों ने प्रेजेंटेशन दिया तो नेपाल से आने वाली नदियों का हवाला दिया.


अधिकारियों ने बताया कि नेपाल से इन नदियों में ज़्यादा पानी छोड़े जाने के चलते बिहार में इस साल भी बाढ़ की आपदा आई है. हालांकि अधिकारियों की इस बात पर सांसदों ने सवाल पूछा कि बिहार ने बाढ़ से निपटने के लिए आख़िर क्या उपाय किया है.


बिहार बीजेपी अध्यक्ष और पश्चिम चंपारण से सांसद संजय जायसवाल इस समिति के अध्यक्ष हैं. सांसदों ने अधिकारियों से पूछा कि नेपाल अगर कुछ नही  कर रहा है तो बिहार सरकार ने बाढ़ प्रबंधन के लिए कौन-कौन से उपाय किए हैं.


सांसदों ने पूछा कि बिहार में तटबंध टूटने के आखिर क्या कारण थे ? उन्होंने सुझाव दिया कि नेपाल से सटे सीमावर्ती ज़िलों में तटबंधों को मजबूत बनाया जाए.


सूत्रों ने बताया कि समिति अपनी अगली बैठक में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को तलब करेगी ताकि नेपाल से बाढ़ प्रबंधन को लेकर अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी मिल सके. साथ ही, नीति आयोग के अधिकारियों को भी बैठक में बुलाने का फैसला किया गया है.