पटना: आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल में बैठक करने की एक तस्वीर वायरल हो रही है. वायरल तस्वीर में झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और कांग्रेस प्रवक्ता शमशेर आलम के साथ लालू यादव बैठे दिख रहे हैं. इस तस्वीर के वायरल होने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है. विपक्ष के नेता लालू यादव पर जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका यह सवाल है कि जेल में बंद लालू किस प्रकार बैठक कर सकते हैं.
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने ट्वीट कर वायरल तस्वीर के संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद कोई राजनीतिक बंदी नहीं हैं, उनके जेल में दरबार लगाने पर कोर्ट संज्ञान ले. वह जेल में रहें या जमानत पर बाहर आएं, इसका फैसला न्यायालय को करना है, लेकिन कुछ लोग न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव बना रहे हैं.
सुशील मोदी ने कहा कि आरजेडी समर्थक एक दल ने कोरोना के बहाने राजनीतिक और सामाजिक बंदियों को परोल या जमानत पर छोड़ने की अपील करते हुए लालू प्रसाद को भी यह रियायत देने की मांगी की है. सजायाफ्ता से इतनी हमदर्दी दिखाने वाले यह तथ्य छिपा रहे हैं कि लालू प्रसाद चारा घोटाला के दोष सिद्ध अपराधी हैं, कोई राजनीतिक बंदी नहीं. वह कोरोना काल में भी अगर जेल नियमों का उल्लंघन कर दरबार लगा रहे हैं, तो इस पर अदालत और सीबीआई को खुद संज्ञान लेना चाहिए.
इधर, झारखंड बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव के कहा कि जब सइयां हो कोतवाल तो डर काहे का? जैसी तस्वीरें सामने आईं कि लालू प्रसाद रिम्स में सभा लगाकर कर बैठे हैं. साथ में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और कांग्रेस के अन्य नेता बैठे हैं, यह जेल मैनुअल का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है. वहीं तस्वीर में लालू प्रसाद तो मोबाइल से किसी से बात भी कर रहे हैं. हम राज्य सरकार से कोई अपेक्षा नहीं रखते हैं, इसलिए हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ रहे हैं और जेल के भीतर से सरकार चल रही है और केंद्र सरकार अविलंब इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई करे.
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