जम्मू: जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में प्रदेश की आधिकारिक भाषा को उर्दू से हिंदी करने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अब सरकार से जवाब तालाब किया है.
जम्मू कश्मीर को अब केंद्र शासित प्रदेश बने हुए करीब 1 साल होने वाला है और इस एक साल के दौरान प्रदेश में कई कानून और व्यवस्थाएं बदल गई हैं. इसी के तहत अब जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में एक याचिका में यह मांग की गई है कि प्रदेश की आधिकारिक भाषा को उर्दू से हिंदी में बदल दिया जाए.
याचिकाकर्ता के वकीलों के मुताबिक पुनर्गठन एक्ट की सेक्शन 47 में यह कहा गया कि प्रदेश में अब इंग्लिश, हिंदी या किसी अन्य स्थानीय भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा मिलना चाहिए. वकीलों के मुताबिक पिछले करीब एक साल से सरकार इसको लेकर शांत है और इस बाबत कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
याचिकर्ता के वकीलों का दावा है कि इसी से हार कर उन्हें अब हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटना पड़ा है. याचिकाकर्ता के वकील आदित्य शर्मा के मुताबिक भारत के संविधान के आर्टिकल 343 के तहत हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है.
उनके मुताबिक प्रदेश में अब पुनर्गठन एक्ट लागू होने के बाद एक झंडे की तरह ही हिंदी को प्रदेश की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए. आदित्य के मुताबिक अब इस बाबत जम्मू कश्मीर की हाई कोर्ट की डिवीज़न बेंच ने सरकार को 4 हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा है.
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