रायबरेली. जहां एक तरफ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पदभार ग्रहण करते ही प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा किया था. वहीं. दूसरी तरफ एक लंबा समय बीतने के बाद भी सड़क में गड्ढे हैं कि गड्ढों में सड़क यह कह पाना ही मुश्किल हो रहा है. रायबरेली के प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों को जोड़ने वाली सड़कें ही दुर्घटना को दावत दे रही हैं बाकी अन्य सड़कों का तो बहुत ही बुरा हाल है. बावजूद इसके इस तरफ ना तो किसी प्रशासनिक अधिकारी की ही नजरें जा रही हैं और ना ही नगर पालिका के अध्यक्ष व मातहतों की.
सड़क में गड्ढे या गड्ढों में सड़क, कह पाना मुश्किल
टूटी फूटी व जर्जर सड़कें रायबरेली की एक विकट समस्या बन चुकी हैं. सड़क में गड्ढे हैं कि गड्ढों में सड़क यह कह पाना भी इस समय मुश्किल हो रहा है. शहर के मुख्य मार्ग चाहे वह डिग्री कॉलेज चौराहे से नेहरू नगर क्रॉसिंग का रास्ता हो, जेल रोड हो, सर्वोदय नगर का एरिया हो, कहारों के अड्डे की सड़कें हों सभी की हालत दयनीय हो चुकी है. सड़क में जगह-जगह गड्ढों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं भी खूब हो रही हैं. इतना ही नहीं इन सड़कों से गुजरने वाले वाहनों की हालत भी कुछ समय बाद बेदम सी हो जाती है. लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सिविल लाइन्स से पीएसी तक पहुंचना है टेढ़ी खीर
नगर पालिका द्वारा क्रियान्वित अमृत योजना का हाल तो बहुत बुरा है. शहर के सिविल लाइन से पीएसी तक सड़कें खुदवाकर किसी तरह पाइपलाइन तो पड़ गई लेकिन साल बीतने जा रहा है, अभी तक उन सड़कों का डामरीकरण तक नहीं हो पाया है. लिहाजा उस मार्ग से होकर गुजरने वाले लोगों को उस मार्ग से जाना है, केवल यह सोच कर ही पसीने आ जाते हैं.
सड़क के आसपास रहने वाले दुकानदारों की स्थिति बहुत खराब है. खराब सड़कों के कारण वहां ना तो खरीदार पहुंच पा रहा है और ना ही दुकानदार समय से दुकान ही खोल पाते हैं. लिहाजा दुकानदारों की स्थिति भी काफी दयनीय हो चुकी है.
साहब के कार्यालय का रास्ता ही है बदहाल
सबसे खास बात है कि सदर तहसील, कलेक्ट्रेट, विकास भवन निबंधन कार्यालय, आदि को जोड़ने वाली सड़क का तो बहुत ही बुरा हाल है. उसी सड़क से प्रशासनिक अधिकारियों का आवागमन भी रहता है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों की नजरें इन टूटी-फूटी सड़कों पर पड़ती ही नहीं. लोगों की समस्याएं तो दूर, खुद अगर गुजरना हो किसी को, उसके बावजूद भी अगर उसे ना दिखे तो उस चीज का भगवान ही मालिक होता है.
सभी मोहल्लों की सडकों की हालत है दयनीय
नगर पालिका क्षेत्र की सड़कों का बहुत ही बुरा हाल है. शहर का कोई ऐसा मोहल्ला नहीं है, जहां की सड़कें टूटी फूटी ना हो और उसमें गड्ढे ना हों. नगर पालिका अध्यक्ष व उनके मातहतों ने पूरी तरह आंखें बंद कर रखी हैं. ना तो नालियों की सफाई होती है और ना ही सड़कों पर ही कोई ध्यान दिया जा रहा है, बल्कि कई बार उन पर बिना काम के ही धन का दुरुपयोग करने का भी आरोप लग चुका है लेकिन "समरथ को नहिं दोष गोसाईं "वाली कहावत यहां पर भी चरितार्थ होती है. लोग कहते हैं, आरोप लगाते हैं, शिकायतें भी करते हैं लेकिन नगर पालिका अध्यक्ष को करना वही होता है जो उनकी मंशा होती है.
प्रशासनिक अधिकारियों के नजर अंदाजी से भी शहर की सड़कों का बुरा हाल देखा जा सकता है. जबकि इस शहर को वीवीआईपी का दर्जा प्राप्त है. यहां की सांसद सोनिया गांधी है और सदर विधायक अदिति सिंह हैं. वैसे तो नगर पालिका भी अदिति के ही इशारे पर चलती है बावजूद इसके यहां की सड़कें अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं और विकास कराह रहा है.